इतिहास के पन्नों में 01 दिसंबरः हिन्दी की सेवा करने वाले स्वतंत्रता सेनानी काका कालेलकर

महात्मा गांधी के निकट सहयोगी काका कालेलकर के नाम से विख्यात दत्तात्रेय बालकृष्ण कालेलकर भारत के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद्, पत्रकार और स्वतंत्रता सेनानी थे। हिन्दी की सेवा के लिए काका कालेलकर को याद किया जाता है। उन्होंने गुजराती और हिन्दी में साहित्य की रचना की। सन् 1965 में उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

काका कालेलकर का जन्म 1 दिसम्बर 1885 को महाराष्ट्र के सतारा में हुआ और 21 अगस्त 1981 में उनका निधन हुआ। उनका परिवार मूल रूप से कर्नाटक के करवार जिले का रहने वाला था और वे वोक्कलिगा कृषक समुदाय से आते थे। उनकी मातृभाषा कोंकणी थी। लेकिन सालों से गुजरात में बस जाने के कारण गुजराती भाषा पर उनका अच्छा अधिकार था और वे गुजराती के प्रख्यात लेखक माने जाते थे।

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जिन नेताओं ने राष्ट्रभाषा प्रचार के कार्य में विशेष दिलचस्पी ली, उनमें काका कालेलकर का नाम प्रमुखता से आता है। उन्होंने राष्ट्रभाषा के प्रचार को राष्ट्रीय कार्यक्रम के अंतर्गत माना। 1938 में दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के अधिवेशन में उन्होंने कहा था, हमारा राष्ट्रभाषा प्रचार एक राष्ट्रीय कार्यक्रम है। उन्होंने पहले स्वयं हिंदी सीखी और फिर कई वर्षों तक दक्षिण में सम्मेलन की ओर से प्रचार-कार्य किया।उनकी लिखी लगभग 30 पुस्तकें प्रकाशित हुई जिनमें अधिकांश का अनेक भारतीय भाषाओं में अनुवाद हुआ।

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