देश-दुनिया के इतिहास में 02 जुलाई की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। यह तारीख अंग्रेजों के सबसे दुश्मन भारत के महान क्रांतिवीर नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जीवन के लिए खास है। साल 1940 में हिटलर ने अंग्रेजों की नाक में दम कर रखा था। हिटलर के लड़ाकू विमान लंदन पर ताबड़तोड़ बम बरसा रहे थे।
ब्रिटिश सरकार ने सुभाष चंद्र बोस को कलकत्ता की प्रेसिडेंसी जेल में कैद कर रखा था। उनपर देशद्रोह और विद्रोह भड़काने का आरोप लगा। अंग्रेज सरकार ने बोस को 02 जुलाई, 1940 को गिरफ्तार किया था। आखिर अंग्रेजों की गुलामी की जंजीरों से भारत मां को आजाद करने का सपना देखकर नेताजी कब तक कैद में रहते। उन्होंने 29 नवंबर, 1940 को अपनी गिरफ्तारी के विरोध में जेल में अनशन शुरू कर दिया।
जेल में उनकी हालत बिगड़ने लगी तो एक सप्ताह बाद 05 दिसंबर को गवर्नर जॉन हरबर्ट ने एक एंबुलेंस से बोस को उनके घर (38/2 एल्गिन रोड) भिजवा दिया ताकि अंग्रेज सरकार पर यह आरोप न लगे कि उनकी जेल में बोस की मौत हो गई। हरबर्ट का इरादा था कि जैसे ही बोस की सेहत में सुधार होगा उन्हें फिर से गिरफ्तार कर लिया जाएगा। इसके बाद बोस अंग्रेजों को चकमा देखकर भारत से भाग गए।
अगले साल 27 जनवरी को एक स्थानीय अदालत में सुभाष के खिलाफ एक मुकदमे की सुनवाई होनी थी। कहते हैं कि परिवार ने यह तय किया गया कि उसी दिन अदालत को बताया जाएगा कि सुभाष का घर में कहीं पता नहीं है। सुभाष के दो भतीजों ने पुलिस को खबर दी कि वह घर से गायब हो गए हैं। 27 जनवरी को सुभाष के गायब होने की खबर सबसे पहले आनंद बाजार पत्रिका और हिंदुस्तान हेरल्ड में छपी। इसके बाद उसे रॉयटर्स ने प्रसारित किया। इस तरह यह खबर पूरी दुनिया में फैल गई।