देश-दुनिया के इतिहास में 03 फरवरी की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। यह तारीख प्रयागराज कुंभ में हुए ह्रदयविदारक हादसे के रूप में भी याद की जाती है। तीन फरवरी, 1954 के कुंभ मेले में मौनी अमावस्या के स्नान पर्व पर हुई भगदड़ में करीब 800 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी।
बताया जाता है कि दो और तीन फरवरी की दरमियानी रात गंगा में अचानक पानी बढ़ गया। संगम किनारे साधु-संतों के आश्रम में पानी पहुंचने लगा। इससे लोग घबरा गए। देश की आजादी के बाद यह पहला कुंभ था। इस हादसे के पीछे कई वजह बताई जाती हैं। पहली, कुंभ मेला क्षेत्र काफी छोटा था।
लोगों के स्नान के लिए घाट भी बहुत कम थे। भीड़ अधिक जमा होने की वजह से ये भगदड़ मची थी। इसके अलावा कहा जाता है कि कुंभ मेले में हाथी भड़क गया। इस वजह से भगदड़ मची।