दुनिया का सबसे बड़ा वाष्प इंजन चालित यात्री जहाज टाइटैनिक, इंग्लैंड के साउथहैंप्टन से अपनी प्रथम यात्रा के दौरान 10 अप्रैल 1912 को रवाना हुआ और चार दिनों बाद 14 अप्रैल को एक हिमशिला से टकरा कर डूब गया।
इस सबसे बड़े समुद्री हादसे में 1,500 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। टाइटैनिक नाम का ये जहाज़ 269 मीटर लंबा था और उस वक्त स्टील से बनाया गया था। चालक दल और यात्रियों को मिलाकर इस पर करीब 3300 लोगों के ठहरने की सुविधा थी।
ब्रिटेन से अमरीका जाते वक्त अटलांटिक सागर में हुए हादसे के बाद ये जहाज डूब गया। इसका मलबा आज तक वहीं पड़ा है, इसे आज तक निकाला नहीं जा सका है।
समुद्र में डूबे इस जहाज की पहली तस्वीरें 73 बरस बाद 4 सितंबर 1985 को सामने आईं। इसकी पहली तस्वीरें आर्गो नामक मानवरहित सबमरीन ने ली थीं। अटलांटिक सागर के समुद्रतल में 2,600 फीट नीचे इसका मलबा मिला था। ये जहाज दो टुकड़ों में बंट गया था और समुद्रतल में दोनों टुकड़े, बो और स्टर्न एक-दूसरे से 800 मीटर दूर गिरे। इसकी खोज अमेरिका और फ्रांस के साझा एक्सपीडिशन ने की थी जिसका नेतृत्व डॉक्टर रॉबर्ट बैलार्ड कर रहे
थे। अमेरिकी नौसेना की मदद से की गई इस तलाश में दो जहाजों की मदद ली गई थी।