देश-दुनिया के इतिहास में 08 अगस्त की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। यह वही तारीख है जब 1942 में महात्मा गांधी ने करो या मरो का नारा देते हुए अंग्रेजों के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की। आजादी की लड़ाई में भारत छोड़ो आंदोलन मील का पत्थर साबित हुआ। इसके पांच साल बाद ही अंग्रेजों को भारत से उलटे पांव लौटना पड़ा। भारत छोड़ो आंदोलन ब्रिटिश हुकूमत की ताबूत में अंतिम कील साबित हुआ।
बापू ने इस आंदोलन की शुरुआत अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के मुंबई अधिवेशन से की थी। इस मौके पर महात्मा गांधी ने ऐतिहासिक ग्वालिया टैंक मैदान (अब अगस्त क्रांति मैदान) से देश को ‘करो या मरो’ का नारा दिया।आंदोलन में गांधी और उनके समर्थकों ने स्पष्ट कर दिया कि वे युद्ध के प्रयासों को समर्थन तब तक नहीं देंगे जब तक कि भारत को आजादी न दे दी जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस बार यह आंदोलन बंद नहीं होगा। उस समय द्वितीय विश्वयुद्ध चल रहा था।
भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की खबर से अंग्रेजों की नींद उड़ गई। ब्रिटिश हूकूमत ने गिरफ्तारियां शुरू कर दीं। 08 अगस्त को आंदोलन शुरू हुआ और 9 अगस्त 1942 को दिन निकलने से पहले ही कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सभी सदस्य गिरफ्तार हो चुके थे। कांग्रेस को गैरकानूनी संस्था घोषित कर दिया गया। यही नहीं, ऑपरेशन जीरो आवर के तहत अंग्रेजों ने गांधी सहित शीर्ष नेताओं को गिरफ्तार कर लिया। महात्मा गांधी और सरोजनी नायडू को आगा खां पैलेस में नजरबंद कर दिया गया। इस आंदोलन में 940 लोग मारे गए और 1630 घायल हुए। 60229 लोगों ने गिरफ्तारी दी।
महात्मा गांधी और शीर्ष नेताओं की गिरफ्तारी के बाद देश की जनता सड़कों पर उतर आई और इस आंदोलन का नेतृत्व युवा क्रांतिकारियों ने किया। इसके बाद यह आंदोलन हिंसक हो गया। अंग्रेजों ने दमन नीति अपनाई, लेकिन आंदोलन नहीं रुका। लोगों ने सरकारी इमारतों पर कांग्रेस के झंडे फहराने शुरू कर दिए। छात्र और कामगार हड़ताल पर चले गए। सरकारी कर्मचारियों ने भी काम करना बंद कर दिया। यह एक ऐतिहासिक क्षण था। भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान डॉ. राम मनोहर लोहिया, जय प्रकाश नारायण और अरुणा आसफ अली जैसे नेता उभर कर सामने आए।
इस आंदोलन को अपने उद्देश्य में आंशिक सफलता मिली, लेकिन इस आंदोलन ने 1943 के अंत तक भारत को संगठित कर दिया। इसी साल 10 फरवरी को महात्मा गांधी ने 21 दिन का उपवास शुरू किया। उपवास के 13वें दिन गांधी जी की हालत खराब होने लगी। इतिहासकार मानते हैं कि अंग्रेज चाहते थे कि गांधी जी मर जाएं। महात्मा गांधी को ब्रिटिश सरकार ने 6 मई 1944 को स्वास्थ्य कारणों के चलते रिहा कर दिया। हालांकि गांधी जी के जेल से छूटने से पहले उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी की मौत हो चुकी थी।
इतिहासकारों का मानना है कि आंदोलन के आखिर में ब्रिटिश सरकार ने संकेत दे दिया था कि सत्ता का हस्तांतरण कर उसे भारतीयों के हाथ में सौंप दिया जाएगा। इस समय गांधी जी ने आंदोलन को बंद कर दिया, जिससे कांग्रेसी नेताओं सहित लगभग एक लाख राजनीतिक बंदियों को रिहा कर दिया गया। भारत छोड़ो आंदोलन सबसे विशाल और सबसे तीव्र आंदोलन साबित हुआ, जिसने अंग्रेजी सरकार नींव हिला कर रख दी। भारत छोड़ो आंदोलन भारत के इतिहास में अगस्त क्रांति के नाम से भी जाना जाता है।