देश-दुनिया के इतिहास में 12 जून की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है।यह तारीख ऐसी है जिसने भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सिंहासन को हिला दिया था। इससे इंदिरा गांधी इस कदर घबरा गईं उन्होंने लोकतंत्र को कुचलते हुए देश में आपातकाल लगा दिया। ‘किस्सा कुर्सी का’ काला अध्याय 1975 में शुरू होता है। जून का महीना था। इस महीने में देश की आबोहवा इस कदर गर्म और तपिश से भरी होती है सब कुछ खौलने सा लगता है।
इस मौसम में देश की सियासत की तपिश इतनी अधिक थी कि उसने तापमान के चढ़ते पारे को पीछे छोड़ दिया। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 12 जून को इंदिरा गांधी को चुनाव में सरकारी मशीनरी के इस्तेमाल का दोषी ठहराते हुए उनके निर्वाचन को अमान्य करार दिया।
यह मामला 1971 के लोकसभा चुनाव के सिलसिले में विपक्ष के नेता राजनारायण ने दाखिल किया और अदालत ने इंदिरा गांधी को चुनाव में अनुमति से ज्यादा धन व्यय करने और सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग का दोषी पाया और उनके किसी भी राजनीतिक पद ग्रहण करने पर रोक लगा दी गई। यह अलग बात है कि यह फैसला अमल में नहीं आया और इसके बाद का घटनाक्रम आपातकाल के काले दौर का गवाह बना।