इतिहास के पन्नों में 15 जुलाईः जब असंतोष व अंतर्विरोध का शिकार हुई उम्मीदों की सरकार

तारीखः 24 मार्च, 1977, भारतीय राजनीतिक परिदृश्य पर नया इतिहास लिखा जा रहा था। देश से आपातकाल हटने के बाद लोकसभा चुनाव हुए तो पहली बार कांग्रेस पार्टी सत्ता से बेदखल हो गई। जनता पार्टी को 295 और कांग्रेस को महज 154 सीटें मिलीं। मतदाताओं ने स्वतंत्र भारत में पहली बार प्रधानमंत्री पद पर किसी गैर कांग्रेसी नेता की ताजपोशी की पटकथा तैयार कर दी।

मोरारजी देसाई दो-दो बार प्रधानमंत्री बनने से चूक गए थे लेकिन इसबार वे प्रधानमंत्री बनने की होड़ में सबसे आगे थे। गुजरात के सूरत निर्वाचन सीट से चुने गए मोरारजी देसाई को सर्वसम्मति से जनता पार्टी के नेता के रूप में चुन लिया गया। 24 मार्च 1977 को उन्होंने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली।

देश में उम्मीदों की रोशनी लेकर आई मोरारजी सरकार दो साल बीतते-बीतते अंदरूनी नाराजगी, अंतर्विरोध और बगावत का शिकार हो गई। मोरारजी देसाई के खिलाफ पार्टी के भीतर व्यापक असंतोष था और लगातार सरकार के कई मंत्री पद से इस्तीफा दे रहे थे।

आखिरकार 15 जुलाई, 1979 को मोरारजी देसाई ने तत्कालीन राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी को अपना इस्तीफा सौंप दिया। जिसके बाद राष्ट्रपति ने उनसे नया प्रधानमंत्री मिलने तक पद पर बने रहने का अनुरोध किया। 28 जुलाई, 1979 को मोरारजी देसाई का इस्तीफा मंजूर हो गया और इंदिरा गांधी के समर्थन से चौधरी चरण सिंह प्रधानमंत्री बने।

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