देश-दुनिया के इतिहास में 17 अक्टूबर की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। यह तारीख दिल्ली-एनसीआर के प्रमुख शहर फरीदाबाद के लिए खास है। बाबा फरीद की यह नगरी कल 17 अक्टूबर को 74 वर्ष की हो जाएगी। विभाजन की त्रासदी के दौरान पाकिस्तान से आए लोगों को फरीदाबाद में शरण मिली थी।
17 अक्टूबर 1949 को एनएच-5 शहीद भगत सिंह चौक पर फावड़ा चलाकर शहर को बसाने का काम शुरू किया गया। देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद फरीदाबाद विकास बोर्ड के चेयरमैन बने थे। उन्होंने इस शहर को बसाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आज यहां व्यापक स्तर पर उद्योग-धंधे स्थापित हो चुके हैं। इससे फरीदाबाद की पहचान औद्योगिक नगरी के रूप में हुई।
वैसे तो माना जाता है कि फरीदाबाद की स्थापना सन् 1607 ईस्वी में जहांगीर के खजांची शेख फरीद ने की थी। उनका मकसद यहां से गुजरने वाले राजमार्ग की रक्षा करना था। फरीद ने यहां एक किला, एक तालाब व एक मस्जिद बनवाई। इसके बाद यह बल्लभगढ़ के शासक के पास उनकी जागीर के तौर पर रहा। यहां के शासकों ने 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके बाद अंग्रेजों ने फरीदाबाद को अपने अधिकार में ले लिया।
1947 में स्वतंत्रता प्राप्ति के समय फरीदाबाद अविकसित क्षेत्र था। विभाजन के बाद पश्चिमी पंजाब और उत्तरी पश्चिमी सीमा प्रांत से विस्थापित परिवार फरीदाबाद में आकर बसे। फरीदाबाद को औद्योगिक नगरी के रूप में पहचान दिलाने में शरणार्थियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही। आज फरीदाबाद हरियाणा का सबसे बड़ा शहर और देश का दसवां बड़ा औद्योगिक क्षेत्र है।