इतिहास के पन्नों में 17 मईः सुनील गावस्कर के बल्ले ने उगले हैं रन

विश्व इतिहास के पन्नों में 17 मई की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। 17 मई के इतिहास में कई ऐसे नाम दर्ज हैं जो किसी एक देश के नहीं बल्कि सारी दुनिया में चाहे और सराहे जाते हैं। चार्ली चैपलिन भी उनमें से एक हैं। बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि दुनिया को हंसाने वाले चार्ली चैपलिन की मौत के बाद कुछ चोर उनकी कब्र खोदकर ताबूत निकाल ले गए और उनके परिवार से ताबूत के बदले में चार लाख पाउंड की मांग की। उन चोरों को धन तो नहीं मिला पर पुलिस के हत्थे चढ़ गए और 17 मई को चार्ली चैपलिन का ताबूत बरामद किया। इसके अलावा 17 मई, 2010 को भारतीय मुक्केबाजों ने कॉमनवेल्थ बॉक्सिंग चैंपियनशिप के सभी छह स्वर्ण पदक जीते। प्रतियोगिता में सर्वश्रेष्ठ बॉक्सर का अवार्ड विजेंद्र कुमार को मिला। क्रिकेट की बात करें तो महान बल्लेबाज सुनील गावस्कर ने 17 मई को ही टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लिया।

गावस्कर वर्तमान युग में क्रिकेट के महान बल्लेबाजों में गिने जाते हैं। उन्होंने बल्लेबाजी से संबंधित कई कीर्तिमान स्थापित किए। उनका जन्म 10 जुलाई, 1949 को मुंबई (महाराष्ट्र) में हुआ था। उनकी पत्नी का नाम मार्शनील है। इनके पुत्र रोहन गावस्कर भी भारतीय क्रिकेट टीम में खेल चुके हैं। सुनील गावस्कर (अपने समयकाल में) ने विश्व क्रिकेट में तीन बार एक वर्ष में एक हजार रन, सर्वाधिक शतक (34), सर्वाधिक रन (नौ हजार से अधिक), सर्वाधिक शतकीय भागेदारी एवं प्रथम शृंखला में सर्वाधिक रन बनाने वाले एकमात्र बल्लेबाज रहे हैं। उन्होंने भारतीय टीम का कुशल नेतृत्व किया और कई महत्वपूर्ण विजय प्राप्त की। इनमें एशिया कप एवं ‘बेसन ऐंड हेजेस विश्वकप प्रमुख है। वो 100 कैंचों का कीर्तिमान भी इंग्लैंड में बना चुके हैं। गावस्कर क्रिकेट की अद्वितीय पहेली हैं। 1986 में खेल जीवन का उत्तरार्द्ध होने के बाद उनके खेल में और निखार आया। 1971 में उन्हें टेस्ट टीम के वेस्टइंडीज दौरे के लिए चुना गया। 1975 का पहला वर्ल्डकप गावस्कर ही क्या भारत के क्रिकेटप्रेमी कभी नहीं भूल पाएंगे। इस वर्ल्डकप का जिक्र आते ही नजरों के सामने गावस्कर की नाबाद 36 रन की पारी कौंध जाती है जो उन्होंने पूरे 60 ओवर में खेली। इसके लिए उन्होंने 174 गेंदों का सामना किया था और सिर्फ एक चौका लगाया।

इंग्लैंड ने 60 ओवर में चार विकेट पर 334 रन का विशाल स्कोर बनाया था। इसके जवाब में गावस्कर की अति धीमी बल्लेबाजी के कारण भारत तीन विकेट पर 132 रन ही बना पाया था । गावस्कर की इस धीमी बल्लेबाजी के लिए तरह-तरह की चर्चाएं होती थीं। कहा जाता था कि श्रीनिवास वेंकटराघवन को वर्ल्डकप में कप्तानी देने से नाराज गावस्कर ने ऐसी पारी खेली थी। हालांकि खुद गावस्कर का कहना था कि उन्होंने कई बार अपना विकेट खुला छोड़ा मगर विपक्षी गेंदबाजों ने उन्हें आउट नहीं किया। उन्होंने बाद में दावा किया था कि वह खुद को खेल की गति से एडजस्ट नहीं कर पा रहे थे । सुनील गावस्कर की शिक्षा सेंट जेवियर्स स्कूल तथा सेंट जेवियर्स कालेज में हुई । उन्होंने क्रिकेट की शिक्षा ‘गिल्स’ तथा ‘हैरिस’ शील्ड टूर्नामेंट के लिए खेलते हुए प्राप्त की ।

सुनील गावस्कर ने अनेक नए रिकार्ड बनाए और पुराने रिकार्ड तोड़े। उन्होंने सर्वाधिक 34 शतक बनाने का रिकार्ड बनाया तथा टेस्ट क्रिकेट में 10000 रन बनाने वाले विश्व के प्रथम खिलाड़ी बने । बाद में एलन बार्डर ने उनका रिकार्ड तोड़ा। सुनील गावस्कर आज तक एकमात्र ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने एक कैलेंडर वर्ष में एक हजार रन बनाए और यह करिश्मा उन्होंने चार बार कर दिखाया। कुल एक वर्ष (12 माह) में 1984 रन बनाने का रिकार्ड भी सुनील गावस्कर के नाम है । उन्होंने 17 अक्टूबर 1978 से 13 अक्टूबर 1979 के बीच दो द्विशतक, 6 शतक, 9 अर्धशतक लगाकर 1984 रन बनाने का अभूतपूर्व रिकार्ड बनाया । उन्होंने 17 मई, 1987 को टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *