‘अयंगर योग’ के जन्मदाता बेल्लूर कृष्णमचारी सुंदरराज अयंगर का 20 अगस्त 2014 को 96 साल की उम्र में पुणे में निधन हो गया। उन्होंने अयंगरयोग की स्थापना कर इसे सम्पूर्ण विश्व में मशहूर बनाया।
साल 2002 में भारत सरकार द्वारा उन्हें साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्म भूषण तथा 2014 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। यूरोप में योग शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम करने वाले सबसे प्रमुख शख्सियत रहे।
14 दिसंबर, 1918 को वेल्लूर के एक गरीब परिवार में पैदा हुए अयंगर विश्व के सबसे लंबी उम्र तक जीवित रहने वाले योग गुरु थे। योगगुरु अयंगर के योग गुरु बनने की यात्रा उनके 16 साल की उम्र से शुरू हुई और वे 90 साल की उम्र में भी कठिन योग करते थे। 1950 के दशक के आखिरी वर्षों में उन्होंने बेल्जियम की क्वीन मदर, क्वीन एलिजाबेथ को अस्सी से अधिक की उम्र में शीर्षासन सिखाया था। अयंगर 90 साल की अवस्था में भी प्रति दिन 3 घंटे आसन और हर घंटे प्राणायाम करते थे। वे 200 से ज्यादा क्लासिकल योगासन और 14 प्रकार के प्राणायाम कर लेते थे। उन्होंने विकलांगों के लिए विशेष योग मुद्रा तैयार की थी।
उन्होंने 78 देशों में जाकर वहां के लोगों को योग की शिक्षा दी। पूरे विश्व में 20 हजार सर्टिफाइड योगा टीचर उन्हें अपना गुरु मानते हैं। 200 अयंगर योग संस्थान अभी भी पूरी दुनिया में संचालित हो रहे हैं। उन्होंने कई किताबें भी लिखीं जिनमें ‘लाइट ऑफ योग’, ‘लाइट ऑफ प्राणयाम’, लाइट ऑन योगा सूत्र ऑफ पतंजलि शामिल हैं।