इतिहास के पन्नों में 22 जूनः फुटबॉल में ‘हैंड ऑफ गॉड’ का वो किस्सा

फुटबॉल प्रेमियों के लिए ‘हैंड ऑफ गॉड’ बहुचर्चित शब्दावली है, जिसके साथ इस खेल के जादूगर डिएगो माराडोना का नाम हमेशा के लिए जुड़ हो गया। माराडोना ने 1986 के विश्वकप में इंग्लैंड के खिलाफ ‘हैंड ऑफ गॉड’ गोल किया था।

साल 1983 में मैक्सिको में खेला गया विश्व कप माराडोना के नाम रहा था। अर्जेंटीना की कप्तानी कर माराडोना ने अपने दम पर टीम को चैंपियन बनाया था। फाइनल में अर्जेंटीना की टीम ने वेस्ट जर्मनी की टीम को 3-2 से हराकर खिताब पर दूसरी बार कब्जा जमाया था। इससे पहले 22 जून 1986 को क्वार्टर फाइनल का मुकाबला लोगों के लिए याद बन गया, जिसमें मराडोना की तरफ से किए गए गोल को ‘हैंड ऑफ गॉड’ का नाम दिया गया।

दरअसल, माराडोना ने गेंद को सिर से मार कर गोल पोस्ट में डालने की कोशिश की लेकिन इसके बजाय गेंद उनके हाथ से लगी और गोलकीपर पीटर शिल्टन को छकाते हुए नेट से जा लगी। ट्यूनीशिया के रेफरी अली बिन नासेर यह देखने से चूक गए कि माराडोना ने हाथ से गोल किया है। रेफरी ने इसे गोल करार दिया। मैच में दोनों ही गोल माराडोना ने किए थे और अर्जेंटीना ने 2-1 से इंग्लैंड के खिलाफ जीत हासिल की। बाद में माराडोना ने इस गोल में ईश्वर का हाथ बताया और इसे ‘हैंड ऑफ गॉड’ करार दिया।

इस मैच के बाद रेफरी अली बिन नासेर ने गेंद को अपने पास रख लिया। कई साल बाद रेफरी ने जब इसे नीलाम किया तो 24 लाख डॉलर की भारी-भरकम रकम मिली।

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