इतिहास के पन्नों में 23 सितम्बरः जब भारतीयों के शौर्य ने पाकिस्तान का ऑपरेशन जिब्रॉल्टर फेल कर दिया

भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 में युद्ध हुआ। कश्मीर के सवाल पर शुरू हुए इस युद्ध के दो कारण थे- पहला, 1962 में चीन के युद्ध में भारत की पराजय और दूसरा, 1964 में तत्कालीन प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री का निधन। इन दो परिस्थितियों में भारत को कमजोर जानकर कश्मीर हासिल करने की हसरत के साथ ऑपरेशन जिब्राल्टर शुरू किया। यह पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के दिमाग की उपज थी।

तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की अगुवाई में भारत ने जबर्दस्त पलटवार किया। भारतीय सेना लाहौर तक पहुंच गई। आखिरकार संयुक्त राष्ट्र की पहल पर 23 सितंबर 1965 को युद्ध विराम हुआ। दोनों देशों के बीच यह लड़ाई मुख्य रूप से पैदल सेना और टैंक डिवीजन के बीच लड़ी गई, लेकिन नौसेना ने भी अपना योगदान दिया। यह पहला मौका था जब दोनों देशों की वायु सेना जंग के मैदान में उतरी। भारत ने 1920 स्क्वायर किमी जमीन पर कब्जा किया और पाकिस्तान ने 540 स्क्वायर किमी जमीन पर। भारत के 2735 सैनिक बलिदान हुए तो पाकिस्तान के 5988 सैनिक।

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ऑपरेशन जिब्राल्टर की असफलता से पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान इतने हतोत्साहित हुए कि मंत्रिमंडल की बैठक में कह दिया- मैं चाहता हूं कि यह समझ लिया जाए कि पाकिस्तान 50 लाख कश्मीरियों के लिए 10 करोड़ पाकिस्तानियों की जिंदगी कभी खतरे में नहीं डालेगा.. कभी नहीं।

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