इतिहास के पन्नों में 26 जूनः 524 साल का हो गया टूथ ब्रश

देश-दुनिया के इतिहास में वैसे तो हर तिथि का महत्व है। मगर 26 जून का महत्व इंसान के दांतों की सफाई के लिहाज से बेहद अहम है। दांतों की सफाई में प्रयोग होने वाला टूथ ब्रश 26 जून, 2022 को 524 साल पूरे कर लेगा। 1498 में 26 जून को ही चीन के राजा ने टूथ ब्रश का पेटेंट कराया था। यहीं से ब्रश का इतिहास माना जाता है। आज दुनिया दांतों की सफाई को लेकर काफी जागरूक है। लोग सुबह उठते ही सबसे पहले ब्रश करना पसंद करते हैं। अब तो मार्केट में इलेक्ट्रिक टूथ ब्रश तक आ गए हैं।

हालांकि एक मान्यता यह भी है कि लोग इससे पहले दांतों की सफाई के लिए चबाने वाली लकड़ी का प्रयोग करते थे। प्राचीन बेबीलोनिया में लगभग 3000-3500 ईसा पूर्व में इसका उपयोग किया जाता था। मिस्र की सभ्यताओं में इस चबाने वाली लकड़ी में एक पंख की डंडी होती थी। यह चबाने वाली लकड़ी वैसे ही दिखती थी, जैसे आज का टूथ ब्रश। चीन के प्राचीन लेखन के मुताबिक लगभग 1600 ईसा पूर्व लोग सुगंधित पेड़ की टहनियों का उपयोग दांत साफ करने के लिए करते थे। भारत में भी प्राचीन काल में नीम के पेड़ की टहनियों का इस्तेमाल टूथ ब्रश के तौर पर होता रहा है। गांवों में आज भी लोग नीम की दातून पसंद करते हैं। पहला टूथ ब्रश जानवर के बालों से बना था। 1938 में जानवरों के बाल के बजाय नाइलोन के ब्रिस्टल इस्तेमाल होने लगे। 1939 में स्विस इलेक्ट्रिक टूथ ब्रश प्रचलन में आया। 1960 में संयुक्त राज्य अमेरिका में भी इलेक्ट्रिक टूथ ब्रश की शुरुआत हुई।

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