कोलकाता : सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन द्वारा भारतीय भाषा परिषद के सह योगदान से आयोजित 27वें हिंदी मेला का शनिवार को नए साल के अभिनंदन और उदार मानवता के आह्वान के साथ समापन हुआ। गौरतलब है कि हिंदी मेला साहित्य को कलाओं से जोड़ने और साहित्य को नई पीढ़ी में लोकप्रिय बनाने के अभियान के रूप में देखा जाता है, यह हिंदी और हिन्दीतर भाषाओं के बीच एक पुल की तरह है।
हिंदी मेला के संरक्षक रामनिवास द्विवेदी ने कहा कि हिंदी मेला नई सांस्कृतिक ऊर्जा पैदा करता है। इसमें स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालयों के विद्यार्थी और नौजवान अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हैं। उन्होंने डॉ. कुसुम खुमानी, अजय व्यास, नरेश कुमार, अमल दास और तमाम संस्कृतिकर्मियों का अभिनंदन करते हुए सभी के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की। अजय व्यास ने कहा कि हिंदी मेला एक सांस्कृतिक आंदोलन की तरह है, यह अच्छी बात है कि सभागार में अयोजन के साथ-साथ इसका ऑनलाइन भी विस्तार हुआ है। समापन समारोह में युवा पत्रकार अनवर हुसैन को युगल किशोर सुकुल पत्रकारिता सम्मान प्रदान किया गया। डॉ. राजेश मिश्र ने मानपत्र का वाचन किया।
प्रो. संजय जायसवाल ने कविता, नृत्य, संगीत, लोकगीत आदि की भव्य प्रस्तुतियों के बाद कहा कि 27 सालों से हिंदी मेला का आयोजन हिंदी और मातृभाषा से प्रेम पैदा करने के लिए होता है ताकि हम आधुनिक विकास के साथ हिंदी की मर्यादा को खोने न दें। इस अवसर पर लगभग 200 विजयी प्रतिभागियों को स्मृति चिन्ह, उपहार और प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। 27 वर्षों से जारी हिंदी मेला सभी के स्नेह, सहयोग और विश्वास का प्रतीक है। इस अवसर पर अवधेश प्रसाद सिंह, डॉ केयूर मजूमदार, अनिता राय और सुशील पाण्डेय उपस्थित थे। मृत्युंजय ने अतिथियों को धन्यवाद दिया।
रचनात्मक लेखन का शिखर सम्मान सूर्य देव रॉय, प्रथम स्थान निशा गहलौत, दिल्ली विश्वविद्यालय, द्वितीय स्थान रूपेश कुमार यादव, विद्यासागर विश्वविद्यालय, तृतीय स्थान पंकज सिंह, विद्यासागर विश्वविद्यालय और विशेष पुरस्कार अभिषेक पाण्डेय, कलकत्ता विश्वविद्यालय को मिला। कार्यक्रम का सफल संचालन विकास जायसवाल, पूजा गुप्ता, पूजा सिंह, आकांक्षा साव, सपना कुमारी, इंद्रेश कुमार, विनोद यादव मास्टर, सुशील पांडे और धन्यवाद ज्ञापन अनीता राय ने किया।