इतिहास के पन्नों में: 20 अप्रैल – बांसुरी का मसीहा

सुप्रसिद्ध बांसुरी वादक रोनू मजूमदार ने भारतीय शास्त्रीय संगीत में बांसुरी को रेखांकित करते हुए कहा था कि ‘पंडित पन्नालाल घोष ने देवकी की तरह बांसुरी को जन्म दिया और पंडित हरिप्रसाद चौरसिया ने यशोदा की तरह उसे पाला पोसा।’

नि:संदेह पंडित पन्नालाल घोष ने बांसुरी को शास्त्रीय वाद्य के रूप में पहचान दिलाई और पंडित हरिप्रसाद चौरसिया ने उसे समृद्ध किया। नई बांसुरी के जन्मदाता और भारतीय शास्त्रीय संगीत का युगपुरुष कहे जाने वाले भारत के प्रसिद्ध बांसुरी वादक पन्नालाल घोष का विशिष्ट स्थान है। उन्होंने लोक वाद्य बांसुरी को शास्त्रीय वाद्य यंत्र के रूप में प्रतिष्ठित किया।

24 जुलाई 1911 को पूर्वी बंगाल के बारीसाल में जन्मे पन्नालाल घोष ने 1938 में यूरोप का दौरा किया और वे उन चंद शुरुआती शास्त्रीय संगीत से जुड़े कलाकारों में थे जिन्होंने विदेश में कार्यक्रम प्रस्तुत किए। उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 1930 में उनका पहला एलपी जारी हो चुका था।

पंडित पन्नालाल घोष ने कई फिल्मों के लिए भी बांसुरी बजाई, जिसमें मुगल-ए-आजम, बसंत बहार, बसंत. दुहाई, अनजान, आंदोलन जैसी फिल्मों के संगीत शामिल हैं। 20 अप्रैल 1960 को दिल्ली में उनका निधन हो गया।

अन्य अहम घटनाएं:

1889: जर्मन तानाशाह एडोल्फ हिटलर का जन्म।

1914: सुप्रसिद्ध उड़िया साहित्यकार गोपीनाथ मोहंती का जन्म।

1920: जानी-मानी भजन गायिका जुथिका राय का जन्म।

1950: आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू का जन्म।

1965: मेघालय के पूर्व मुख्यमंत्री मुकुल संगमा का जन्म।

1970: प्रसिद्ध गीतकार शकील बदायूंनी का निधन।

1972: फिल्म अभिनेत्री ममता कुलकर्णी का जन्म।

2004: राजस्थानी लोकगीतों व लोककथाओं के संकलनकर्ता कोमल कोठारी का निधन।

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