महिला के अपहरण व दुष्कर्म की कोशिश के मामले में पुलिस की भूमिका से न्यायालय नाराज, डीजी से मांगी रिपोर्ट

कोलकाता : पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिला अंतर्गत नरेंद्रपुर थाना इलाके में एक महिला के अपहरण और दुष्कर्म की कोशिश के संबंध में पुलिस की भूमिका पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है। बुधवार को सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति राजशेखर महंथा के पीठ ने घटना को पुलिस से लेकर सीआईडी को सौंपने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही पुलिस महानिदेशक से घटना की पूरी रिपोर्ट भी तलब की है। 7 जून तक रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है।

बताया गया है कि बारुईपुर पुलिस जिले के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक इंद्रजीत बसु ने गत 19 अप्रैल को इस मामले में हाई कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल की थी। बुधवार को कोर्ट ने इस रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि जांच अधिकारी ने बड़ी लापरवाही बरती है और कोर्ट को भी गुमराह करने की कोशिश की है। उसके खिलाफ भी विभागीय कार्रवाई शुरू की जानी चाहिए। यहां तक कि न्यायालय में पेश की गई रिपोर्ट पर पुलिस अधीक्षक का हस्ताक्षर भी नहीं है जिसे लेकर कोर्ट ने सवाल खड़ा किया है।

दरअसल मधु सिंह नाम की एक महिला नरेंद्रपुर थाना इलाके में रहती है और इसी इलाके के शशांक राज साहू के घर नौकरानी का काम करती है। गत 27 जनवरी को जब काम खत्म कर वह घर लौट रही थी तो तीन लोगों ने उसका रास्ता रोक लिया और उसका अपहरण की कोशिश करने लगे। आरोप है कि उसे शारीरिक तौर पर उत्पीड़ित भी किया गया। उन लोगों ने मधु से पूछा कि शशांक के घर में कितने कमरे हैं, किस कमरे में कौन रहता है। यहां तक कि शशांक को घर से निकालने की धमकी भी इन लोगों ने दी। तुरंत थाने में शिकायत दर्ज कराई गई लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। 30 जनवरी को एक बार फिर इन तीनों ने मधु का रास्ता रोका। उसने फिर थाने को इस बारे में जानकारी दी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई जिसके बाद तीन फरवरी को एक कार में सवार पांच लोगों ने फिर मधु सिंह को रोककर अगवा करने की कोशिश की। हालांकि उसके शोर मचाने पर स्थानीय लोग एकत्रित हो गए और विनोद यादव नाम के एक शख्स को पकड़ लिया। बाद में उसे पुलिस ने गिरफ्तार किया।

पुलिस ने कार को भी जब्त किया जिसमें से बंदूक आदि बरामद किया गया था लेकिन आरोप है कि पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में केवल कार बरामद होने की बात बताई और कार से बरामद हुई चीजों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी। इसके बाद 17 और 20 फरवरी को भी कुछ बदमाश मधु के घर में घुस गए और उसे जान से मारने की धमकी देने लगे। लगातार इस तरह की घटना के बावजूद पुलिस ने कार्रवाईमूलक कदम नहीं उठाया जिसके बाद मधु ने पत्र लिखकर डीजीपी से घटना की सीआईडी जांच की मांग की थी। वहां से भी कोई जवाब नहीं मिलने पर उसने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था जिस पर कोर्ट ने बुधवार को सख्त रुख अख्तियार किया है। पता चला है कि घटना की जांच की जिम्मेदारी अर्णव चक्रवर्ती नाम के एक एसआई को दी गई है जो हाल ही में हेड कांस्टेबल से इस पद पर पदोन्नत हुआ है। उसके खिलाफ कार्रवाई का आदेश भी कोर्ट ने दिया है।

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