इतिहास के पन्नों में भारत के संदर्भ में 15 जून, 1947 की तारीख सबसे दुखद घटनाओं के रूप में दर्ज है। इसी दिन भारत के बंटवारे की नींव रखी गई थी। यह सिर्फ दो मुल्कों का नहीं बल्कि घरों का, परिवारों का, रिश्तों का और भावनाओं का बंटवारा था। रातोरात कोई बेघर हुआ तो किसी को नफरत की तलवार ने काट डाला। किसी का भाई सीमापार चला गया तो कोई अपने परिवार को छोड़कर इस ओर चला आया। एक रात पहले तक भाइयों की तरह रहने वाले दो समुदायों के लोग हमसाये से अचानक दुश्मन बन गए। बंटवारे ने दोनों समुदायों के लोगों के दिलों में नफरत की ऐसी चौड़ी खाई खोदी, जिसे पाटने की कोई कोशिश आज तक कामयाब नहीं हो पा रही है। कांग्रेस ने 1947 में 14-15 जून को नई दिल्ली में अपने अधिवेशन में बंटवारे के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। आजादी की आड़ में अंग्रेज भारत को कभी न भरने वाला यह जख्म दे गए।