शिवसेना के बागी विधायक गुजरात से असम पहुंचे

नयी दिल्ली/ गुवाहाटी/सूरत /मुंबई : महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी गठबंधन के मुख्यमंत्री और शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे सरकार का संकट और गहरा गया है। अब तक गुजरात के सूरत में जमे शिवसेना के बागी विधायक बुधवार की सुबह असम की राजधानी गुवाहाटी पहुंच गए। ऐसा संभवत: पहली बार हुआ है जब नेतृत्व को चुनौती देने वाले किसी पश्चिमी राज्य के विधायकों को पूर्वोत्तर राज्य ले जाया गया है। गुवाहाटी पहुंचने के बाद उद्धव ठाकरे से असंतुष्ट शिवसेना विधायकों के नेता एकनाथ शिंदे ने कहा कि कुल 40 विधायक हमारे पास हैं, हम बालासाहेब के हिंदुत्व को आगे बढ़ाएंगे।

सूरत में मंगलवार की देर रात शिंदे, शिवसेना के 34 और सात निर्दलीय विधायकों के साथ गुवाहाटी रवाना होने के लिए सूरत अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचे थे। ये सभी लोग सूरत के ली मेरिडियन होटल में ठहरे थे। सूरत हवाई अड्डे पर शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने कहा था कि हमने बालासाहेब ठाकरे की शिवसेना को नहीं छोड़ा है और न ही छोड़ेंगे। हम बालासाहेब के हिंदुत्व का अनुसरण कर रहे हैं और इसे और आगे ले जाएंगे।

इस बीच मुंबई से ऐसी सूचना है कि अपने और विधायकों को टूटने से बचाने के लिए शिवसेना नेृतत्व ने उन्हें मुंबई के विभिन्न होटलों में ठहराया है। एक विधायक ने यह जानकारी दी, लेकिन उन्होंने उन होटलों के नाम नहीं बताए।

उल्लेखनीय है कि शिवसेना के बागी विधायकों में से एक नितिन देशमुख को तबीयत बिगड़ने के बाद सोमवार की रात सूरत के अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था। मंगलवार की रात एकनाथ शिंदे उनसे मिलने अस्पताल पहुंचे। इसके बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। मुंबई में शिवसेना नेता संजय राऊत ने आरोप लगाया था कि नितिन का अपहरण किया गया है और उनके साथ मारपीट की गई।

महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महाविकास अघाड़ी को राज्यसभा और विधान परिषद चुनाव में मिली हार और शिवसेना में विरोध के बवंडर से उद्धव सरकार पर मंडराते खतरे के बीच भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस सुर्खियों में आ गए हैं। उद्धव सरकार के गठन से ठीक पहले अजित पवार के समर्थन से मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने और फिर समर्थन के अभाव में दो दिन में ही पद छोड़ने वाले फडणवीस पिछले दो हफ्ते में महाराष्ट्र की सियासत में बाजीगर बनकर उभरे हैं। वह जब 2019 के विधानसभा चुनाव में समर्थन मांगने लोगों के बीच पहुंचे थे तब उनका नारा था, ‘मैं वापस आऊंगा।’ अभी जो महाराष्ट्र में राजनीतिक समीकरण बन-बिगड़ रहे हैं उससे लोगों को ऐसा लग रहा है कि वह नारा सच होने के करीब है।’’

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