इतिहास के पन्नों में 30 जूनः संथालों ने अंग्रेजों के खिलाफ फूंका बिगुल

देश-दुनिया के इतिहास में 30 जून की तारीख बहुत सी घटनाओं के साथ दर्ज है। 1938 में 30 जून को ही बच्चों का सबसे पसंदीदा कार्टून चरित्र सुपरमैन पहली बार कॉमिक्स के पन्नों पर आया था। इसके बाद सुपरमैन दुनियाभर के बच्चों का पसंदीदा किरदार बन गया। भारत के संदर्भ में 1855 में 30 जून को ही बंगाल के भोगनादिघी में सशस्त्र संथालों ने ब्रितानी हुकूमत के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंका था। संथाल विद्रोह को संथाली भाषा में संथाल हूल के नाम से भी जाना जाता है।

इस विद्रोह में हजारों संथालों ने अपने हक-हुकूक के लिए कुर्बानी दी। इन वीरों ने यह साबित कर दिया कि निरीह जनता दमन और अत्याचार को बर्दास्त नहीं कर सकती। कालांतर में सरकार ने संथाल परगना को जिला बनाया है। फिर भी आदिवासियों पर दमन नहीं रुका। संथाल विद्रोह की प्रेरणा लेकर आदिवासियों ने आगे भी सरकार के खिलाफ कई विद्रोह किए।

कहते हैं कि 1857 के महान विद्रोह से दो साल पहले दो संथाल भाइयों सिद्धू और कान्हू मुर्मू ने 10,000 संथालों को साथ लेकर अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह की घोषणा की थी। आदिवासियों ने अंग्रेजों को अपनी मातृभूमि से भगाने की शपथ ली। मुर्मू भाइयों की बहनों फूलो और झानो ने भी इस विद्रोह में सक्रिय भूमिका निभाई।

इस विद्रोह के दौरान संथालों ने अत्याचारी दरोगा महेश लाल को मौत के घाट उतार दिया। थानों में आग लगा दी। सरकारी कार्यालयों, कर्मचारियों और अंग्रेज परस्त महाजनों पर आक्रमण किया। भागलपुर और राजमहल के बीच रेल, डाक, तार सेवा बाधित कर दी गई। विद्रोह की चिंगारी से हजारीबाग, बांकुड़ा, पूर्णिया, भागलपुर, मुंगेर आदि स्थान सुलगने लगे। इससे ब्रिटिश सरकार हिल गई। अंग्रेजों ने इस विद्रोह को सख्ती से दबाने का फैसला किया। संथालों के पास अधिक शक्ति नहीं थी और पर्याप्त शस्त्र-अस्त्र भी नहीं थे। बावजूद इसके मात्र तीर और धनुष से उन्होंने मरते दम तक मुकाबला किया। ब्रितानी सैनिकों ने 15 हजार से अधिक संथालों को मौत के घाट उतार दिया। संथाल नेता गिरफ्तार कर लिए गए। फरवरी 1856 में संथाल विद्रोह के लपटें शांत हो गईं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *