कोलकाता : देश के सर्वश्रेष्ठ शिक्षण संस्थानों की सूची प्रकाशित की गई है। इसमें पश्चिम बंगाल से जादवपुर और कलकत्ता विश्वविद्यालय सूची में शीर्ष दस संस्थानों में शामिल हैं। हालांकि इस सच्चाई को लेकर मशहूर शिक्षाविद निखिल रंजन बनर्जी ने सवाल खड़ा किया है।
बनर्जी को लगता है कि नेशनल इंस्टीट्यूट रैंकिंग फ्रेमवर्क की यह रिपोर्ट खुश करने वाली कोई बात नहीं है। यह समझने का समय है कि जैसे दीपक तले अंधेरा होता है, वैसे बंगाल के विश्वविद्यालयों की हकीकत क्या है। जादवपुर और कलकत्ता विश्वविद्यालयों को अखिल भारतीय स्तर पर अपने समग्र सुधार के लिए एक लंबा रास्ता तय करना है। राज्य के पॉलिटेक्निकों की हालत खस्ता है।
78 वर्षीय शिक्षाविद ने कहा कि हालांकि मैं जादवपुर और कलकत्ता विश्वविद्यालय को उनके समग्र अखिल भारतीय मानक के लिए बधाई देता हूं। लेकिन, मुझे लगता है कि उन्हें अपनी रैंक सुधारने के लिए अभी लंबा रास्ता तय करना है।
उन्होंने कहा कि जादवपुर विवि रैंकिंग में कुल मिलाकर बारहवें स्थान पर है, जो शीर्ष क्रम वाले आईआईटीएम से 23.74 अंक कम है। कलकत्ता विश्वविद्यालय 26.02 अंक के साथ पंद्रहवें स्थान पर रहा। इंजीनियरिंग में जादवपुर विश्वविद्यालय अग्रणी आईआईटीएम से 24.36 कम अंक के साथ 11वें स्थान पर है। जादवपुर अध्ययन में तेरहवें स्थान पर है, जिसमें शीर्ष क्रम वाले आईआईएससी की तुलना में 31.81 कम अंक हैं।
निखिल रंजन बनर्जी ने कहा कि शुरुआत में इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी के लिए एनबीए मॉडल और विश्वविद्यालयों के लिए एनएएसी मॉडल पर आधारित एक गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली विकसित करने की आवश्यकता है। एनबीए शिक्षा प्रणाली पाठ्यक्रम की रूपरेखा से संबंधित है। एनएसी संस्थानों को मान्यता देता है। मान्यता प्रक्रिया, एनबीए या एनएएसी का नेतृत्व करने के लिए संकाय सदस्यों और डीन से मिलकर एक टास्क फोर्स का गठन किया जा सकता है। एनआरआईएफ 2023 को जानकारी जमा करने से पहले एनबीए से मान्यता प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए।
बनर्जी ने कहा कि विभिन्न विश्वविद्यालयों में हमारे पास प्रतिभाशाली और योग्य संकाय सदस्य और सहायक कर्मचारी हैं। एनबीए मान्यता प्राप्त करना मुश्किल नहीं होगा। खासकर जबसे जादवपुर और कलकत्ता दोनों विश्वविद्यालयों के शिक्षक मूल्यांकन प्रदान करके एनबीए का समर्थन कर रहे हैं। जरूरत सिर्फ मानसिकता में बदलाव और प्रबंधन के पूर्ण सहयोग की है।
उन्होंने आगे कहा कि पॉलिटेक्निक की स्थिति बहुत खराब है। हमारे राज्य में केवल एक निजी पॉलिटेक्निक को ही अब तक एनबीए की मान्यता मिली है। हालांकि, पूर्व में पश्चिम बंगाल पॉलिटेक्निक शिक्षा में अग्रणी था। पहले इस तरह की संस्था का नेतृत्व एक अनुभवी शिक्षाविद करता था। अब नौकरशाह अध्यक्ष हैं। उन्होंने कहा कि पॉलिटेक्निक के स्तर में सुधार राज्य में कौशल विकास के लिए मददगार साबित होगा और वास्तव में अगर शिक्षा के गुणवत्ता का आकलन करना है तो ढांचागत सुधार जरूरी है जो राज्य के सभी विश्वविद्यालयों की जरूरत बन गई है।
बता दें कि निखिल रंजन बनर्जी शिवपुर बेसु के पूर्व कुलपति, वेबेल, गार्डनरिच शिपबिल्डर्स सहित विभिन्न प्रसिद्ध उद्योगों के पूर्व निदेशक, पूर्व अध्यक्ष, निखिल राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड (एनबीए) की विशेषज्ञ समिति के अध्यक्ष रहे हैं। कई वर्षों तक वह अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के अखिल भारतीय निदेशक मंडल के सदस्य थे। शिलांग में नॉर्थ ईस्ट हिल यूनिवर्सिटी, सिलचर में असम यूनिवर्सिटी और दिल्ली यूनिवर्सिटी इन तीन केंद्रीय संस्थानों में राष्ट्रपति (आगंतुक) के प्रतिनिधि थे। वह लगभग दो वर्षों तक पश्चिम बंगाल राज्य तकनीकी शिक्षा परिषद के अध्यक्ष रहे।