इतिहास के पन्नों में 24 जुलाईः बाईस साल पहले भारत को मिली पहली महिला ग्रैंड मास्टर विजयालक्ष्मी

देश-दुनिया के इतिहास में 24 जुलाई का अहम स्थान है। भारत के लिए यह तारीख शह और मात के खेल शतरंज के लिए अविस्मरणीय है। शतरंज में अपने धैर्य से प्रतिद्वंद्वी को गलती करने पर मजबूर करने वाली एस विजयलक्ष्मी ने वर्ष 2000 में 24 जुलाई को ही देश की पहली महिला ग्रैंडमास्टर होने का गौरव हासिल किया था। 25 मार्च 1979 को जन्मीं विजयालक्ष्मी ने कम उम्र से ही शतरंज के टूर्नामेंट जीतने शुरू कर दिए थे। राष्ट्रीय खिताब के अलावा वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपने फन का लोहा मनवाने में कामयाब रहीं।

इससे पहले शतरंज की बात हो तो हमें केवल विश्वनाथन आनंद का ही नाम याद आता रहा है। विजयालक्ष्मी ने महज साढ़े तीन साल की उम्र में ही अपने पिता से शतरंज सीखना शुरू कर दिया था। सात साल की उम्र में विजयालक्ष्मी ने अपने जीवन के पहले शतरंज टूर्नामेंट में हिस्सा लिया। 1988 और 1989 में उन्होंने अंडर-10 इंडियन चैंपियनशिप जीतकर दुनिया को अपनी प्रतिभा दिखाई।1995 विजयालक्ष्मी के लिए कुछ बड़ा लाने वाला रहा। इस साल उन्होंने इंटरनेशनल वुमन मास्टर टाइटल अपने नाम किया। इसके बाद उनकी ख्याति विदेश में भी होने लगी।

1998 में विजयालक्ष्मी ने एनिबल ओपन में रूसी ग्रैंड मास्टर मिखाइल कोबालिया को हराकर सनसनी मचाई। 24 जुलाई 2000 को विप्रो इंटरनेशनल ग्रैंडमास्टर चेस चैंपियनशिप में विजयालक्ष्मी ने नौवें राउंड में पी. हरिकृष्ण से मैच ड्रॉ कर पहली महिला ग्रैंडमास्टर का खिताब हासिल किया। विजयालक्ष्मी सबसे ज्यादा शतरंज ओलिंपियाड जीतने वाली भारतीय भी हैं। विजयालक्ष्मी ने 30 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। 2001 में उन्हें भारत सरकार ने अर्जुन पुरस्कार से नवाजा।

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