देश-दुनिया के इतिहास में 27 जुलाई को तमाम घटनाओं के लिए याद किया जाता है। यह तारीख भारत के निशानेबाजी के इतिहास में बड़ा मील का पत्थर बन चुकी है। भारत के जसपाल राणा ने इटली के मिलान शहर में 1994 में 46वीं विश्व निशानेबाजी चैंपियनशिप के जूनियर वर्ग में स्वर्ण पदक हासिल किया। उन्होंने रिकार्ड स्कोर (569/600) बनाकर तहलका मचा दिया था। विश्व निशानेबाजी के नक्शे पर जसपाल राणा का यह पहला स्वर्णिम हस्ताक्षर था। उन्होंने इसके बाद बहुत सी सफलताएं हासिल कर देश का नाम ऊंचा किया, लेकिन उनका यह पहला स्वर्णिम कदम हमेशा यादगार रहेगा।
इस उपलब्धि के लिए जसपाल को वर्ष 1994 में ही भारत सरकार ने ‘अर्जुन अवॉर्ड’ से नवाजा। इस समय जसपाल की उम्र 18 साल थी। वर्ष 1997 में उन्हें ‘पद्मश्री’ से अलंकृत किया गया। उन्हें मदर टेरेसा ‘राष्ट्रीय नागरिक पुरस्कार’ भी प्रदान किया गया।
जसपाल ने अपने करियर में अधिकांश पदक ‘सेंटर फायर पिस्टल’ प्रतियोगिता में जीते और एयर पिस्टल, स्टैन्डर्ड पिस्टल, फ्री पिस्टल, रेपिड फायर पिस्टल प्रतियोगिताओं में भी कामयाबी प्राप्त की। वर्ष 2006 के एशियाई खेलों में उन्होंने 25 मीटर सेंटर फायर पिस्टल में 590 अंकों के साथ विश्व रिकॉर्ड की बराबरी की।राणा का जन्म 28 जून, 1976 को उत्तराखंड राज्य के टिहरी गढ़वाल में एक राजपूत परिवार में हुआ था। उनके पिता नारायण सिंह भी निशानेबाज रहे हैं। उन्हीं से उन्होंने इस खेल का ककहरा सीखा। जसपाल ने फैशन डिजायनर और राष्ट्रीय स्तर की निशानेबाज रीना राणा से शादी की है। उनसे उन्हें दो संतान पुत्री देवांशी और पुत्र युवराज हैं।