देश-दुनिया के इतिहास में 18 अगस्त की तारीख तमाम अहम घटनाओं की वजह से दर्ज है। इस तारीख का आजादी के महानायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस से गहरा रिश्ता है। क्योंकि 18 अगस्त, 1945 के बाद उन्हें आज तक किसी ने नहीं देखा। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की ‘मौत’ 77 साल से रहस्य के आवरण में लिपटी हुई है। उनकी 125वीं जयंती पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इंडिया गेट पर नेताजी की होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण कर चुके हैं।
नेताजी की ‘मौत’ का सच सामने लाने के लिए तीन आयोग बन चुके हैं। दो ने कहा उनकी मौत प्लेन क्रैश में हुई। तीसरी रिपोर्ट में कहा गया कि ऐसा कोई प्लेन क्रैश ही नहीं हुआ तो हादसे में जान जाने की बात कैसे सही मानी जाए। 18 अगस्त, 1945 के वर्षों बाद देश के अलग-अलग हिस्सों में नेताजी को देखे जाने के दावे किए जाते रहे हैं।
किस्सा यूं हैः बात 18 अगस्त 1945 की है। जापान दूसरा विश्वयुद्ध हार चुका था। अंग्रेज नेताजी के पीछे पड़े हुए थे। इसे देखते हुए उन्होंने रूस से मदद मांगने का मन बनाया। 18 अगस्त, 1945 को उन्होंने मंचूरिया की तरफ उड़ान भरी। इसके बाद किसी को फिर वो दिखाई नहीं दिए। पांच दिन बाद टोक्यो रेडियो ने सूचना दी कि नेताजी जिस विमान से जा रहे थे वो ताइहोकू हवाई अड्डे के पास क्रैश हो गया। इस हादसे में नेताजी बुरी तरह झुलस गए। ताइहोकू सैनिक अस्पताल में उनका निधन हो गया। उनके साथ सवार बाकी लोग भी मारे गए। देश के स्वतंत्र होने के बाद भारत सरकार ने सच जानने के तमाम जतन किए। 1999 में गठित मनोज कुमार मुखर्जी आयोग की रिपोर्ट ने दुनिया को चौंका दिया। इसमें ताइवान सरकार के हवाले से कहा गया कि 1945 में कोई प्लेन क्रैश की घटना ही नहीं हुई। इस प्लेन क्रैश का कोई रिकॉर्ड नहीं है। बाद में सरकार ने इस तीसरे आयोग की रिपोर्ट को अस्वीकार कर दिया।
गुमनामी बाबाः नेताजी के निधन के बाद भी देश के कई इलाकों में उनको देखे जाने के दावे किए जाते रहे। फैजाबाद में गुमनामी बाबा से लेकर छत्तीसगढ़ में उनको देखे जाने की सूचनाएं आईं। जिन गुमनामी बाबा के नेताजी होने का दावा किया जाता है, उनके निधन के बाद उनके पास से नेताजी के परिवार की तस्वीरें, पत्र-पत्रिकाओं में छपे नेताजी से जुड़े लेख, कई अहम लोगों के पत्र, नेताजी की कथित मौत के मामले की जांच के लिए गठित शाहनवाज आयोग एवं खोसला आयोग की रिपोर्ट मिली थी। नेताजी का जन्म 23 जनवरी, 1897 को कटक में हुआ था।