कोलकाता : नवान्न ने 100 दिन के काम (मनरेगा) समेत कई परियोजनाओं में अनियमितताओं की शिकायतों का त्वरित निस्तारण करने के लिए जिला प्रशासन को सख्त निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देश पर भेजे गए पत्र में जिलाधिकारियों को स्पष्ट संदेश दिया गया है कि पंचायत चुनाव गतिविधियों में अनियमितता के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों की पहचान कर उससे राशि की वसूली की जाए। जरूरत पड़ने पर थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई जाए।
राज्य सचिवालय नवान्न के सूत्रों के मुताबिक जिला प्रशासन को भेजे गए पत्र में मुख्य रूप से दो परियोजनाओं को लेकर आगाह किया गया है। उनमें से एक है 100 दिन की रोजगार योजना (मनरेगा) है। नोटिस के मुताबिक जिन लोगों को पिछले अप्रैल तक इस योजना के तहत जॉब कार्ड दिए गए हैं, उनके नाम तत्काल जिला पोर्टल पर अपलोड करें। इस संबंध में पूर्व बर्दवान, हावड़ा, उत्तर दिनाजपुर, बांकुड़ा, कूचबिहार, झाड़ग्राम, दक्षिण दिनाजपुर, पश्चिम बर्दवान और बीरभूम को विशेष रूप से चेतावनी दी गई है। साथ ही यदि मनरेगा परियोजना में कोई कार्य नहीं किया गया है अर्थात झूठा खर्च दिखाकर धन की निकासी की गई है तो उस धनराशि को वसूल करने की तत्काल व्यवस्था की जाये। इसके लिए एफआईआर दर्ज करने, अनुशासन भंग करने पर कार्रवाई करने आदि सभी तरह के कदम उठाने के आदेश दिए गए हैं।
नवान्न ने स्पष्ट किया है कि इस परियोजना पर सोशल ऑडिट यूनिट (एसएयू) को मिली रिपोर्ट के मुताबिक कार्रवाई की जाए। इस काम को 9 सितंबर तक पूरा करने की समय सीमा तय की गई है। मनरेगा के अलावा, पीएम आवास योजना में भी फर्जी खर्च की वसूली के निर्देश दिए गए हैं। उस मामले में भी नवान्न ने जरूरत पड़ने पर प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है।
नवान्न का यह निर्देश बहुत महत्वपूर्ण है। राज्य सरकार बार-बार दावा करती रही है कि केंद्र योजना की बकाया राशि नहीं दे रही है। हालांकि, हाल ही में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से बताया गया कि केंद्र ने 100 दिन के कार्य या आवास योजना क्षेत्र में खातों का भुगतान न होने की वजह से राशि आवंटित करना बंद कर दिया है। हालांकि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस केंद्र की आलोचना करती रही है, लेकिन वह केंद्र के निर्देशानुसार राज्य का बकाया वसूलने के लिए काम कर रही है। तृणमूल के अखिल भारतीय महासचिव अभिषेक बनर्जी पहले ही पार्टी में नैतिकता को लेकर संदेश दे चुके हैं। राज्य की 90 फीसदी पंचायतों पर तृणमूल का कब्जा है। नवान्न के इस कदम से माना जा रहा है कि पंचायत भ्रष्टाचार के आरोपितों की सूची तृणमूल के हाथ में आ जाएगी। इसलिए नवान्न के इस निर्देश से तृणमूल के एक तबके के नेताओं और कार्यकर्ताओं के माथे पर अगले पंचायत चुनाव से पहले खतरा मंडरा रहा है।