इतिहास के पन्नों में 24 अगस्तः ‘यह’ है भारत के कलेजे पर गुलामी के अध्याय की तारीख

देश-दुनिया के इतिहास में 24 अगस्त का ऐतिहासिक महत्व है। यह तारीख कई कारणों से इतिहास के पन्नों में दर्ज है। मगर पंद्रहवीं शताब्दी में यूरोप की व्यापारिक एवं औद्योगिक क्रांति ने वहां के व्यापारियों को नया बाजार तलाशने के लिए विवश कर दिया तो सबसे पहले उनकी नजर भारत पर पड़ी। पहले पुर्तगालियों और इसके बाद डच व्यापारियों का भारत आगमन हुआ। 1608 में 24 अगस्त को कैप्टन हॉकिन्स के नेतृत्व में अंग्रेजों का पहला जहाजी बेड़ा हेक्टर भारत के सूरत तट पर पहुंचा। तब भारत में जहांगीर का शासन था । कहने को तो यह एक सामान्य सी घटना है। लेकिन इतिहास की इस इकलौती घटना ने भारत के कलेजे पर अंग्रेजों की गुलामी का दुखद अध्याय लिख दिया । यह ऐसा वक्त है जब सूरत के तट से दुनियाभर के 84 शहरों से कारोबार होता था। बाद के वर्षों में ईस्ट इंडिया कंपनी ने मुंबई, कलकत्ता (कोलकाता) और मद्रास (चेन्नई) जैसे महानगरों की बुनियाद भी रखी।

तत्कालीन मुगल शासक जहांगीर को मनाने में ईस्ट इंडिया कंपनी को करीब 20 साल लगे थे। ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1646 तक सूरत समेत भारत के समुद्र तटीय इलाकों के बड़े शहरों में अलग-अलग सामानों को बनाने के लिए 23 फैक्टरी लगाई थीं। 1689 में सूरत की फैक्टरी का दौरा करने वाले अंग्रेज पादरी जॉन ओविंगटन ने अपने संस्मरण में यहां की कैंटीन के खाने की तारीफ की है।

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