अमूर्त सांस्कृतिक विरासत में शामिल दुर्गा पूजा को देखने कोलकाता आयेंगे यूनेस्को के प्रतिनिधि

नयी दिल्ली /कोलकाता : मानवता की ‘अमूर्त सांस्कृतिक विरासत’ की यूनेस्को की प्रतिनिधि सूची में शामिल दुर्गा पूजा को देखने इनके प्रतिनिधि एक सितंबर को कोलकाता पहुँचेंगे। कोरोना महामारी के चलते पिछले साल यह दौरा नहीं हो सका था। इससे पहले शनिवार को राष्ट्रीय संग्रहालय में आयोजित कार्यशाला का यूनेस्को की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के सचिव टिम कर्टिस, यूनेस्को के निदेशक (नई दिल्ली) के एरिक फाल्ट ने उद्घाटन किया। इस मौके पर दुर्गा पूजा पर तैयार एक नृत्य नाटिका का भी मंचन किया गया।

यूनेस्को के सचिव टिम कर्टिस ने प्रेसवार्ता में बताया कि यूनेस्को की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिष्ठित प्रतिनिधि सूची में भारत की अब 14 अमूर्त सांस्कृतिक विरासतें शामिल हैं। अगले साल के लिए भारत की तरफ से गरबा का प्रस्ताव भेजा गया है जिसका अवलोकन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि यूनेस्को का मकसद अपनी सूची में मौजूद अमूर्त विरासत विविधता को प्रदर्शित करने और इसके महत्व के बारे में जागरुकता बढ़ाने का है। विरासत में मिली परंपराएं, विरासत को सहेज कर रखने के साथ इसके प्रति लोगों में जागरुकता लाने की आवश्यकता है। दुनिया के लोग एक दूसरे की विरासत को समझें और उसे फूलने-फलने में मदद देना बेहद जरूरी है।

उल्लेखनीय है कि यूनेस्को की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिष्ठित प्रतिनिधि सूची में भारत की अब 14 अमूर्त सांस्कृतिक विरासतें शामिल हैं। इसमें दुर्गा पूजा, रामलीला, योग, नवरोज शामिल हैं।

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