इतिहास के पन्नों मेंः 02 सितंबर – देश को सौंपा गया स्वामी विवेकानंद शिला स्मारक

तमिलनाडु में कन्याकुमारी के तीन सागरों के संगम पर स्थित स्वामी विवेकानंद शिला स्मारक विश्व के पर्यटन मानचित्र पर अत्यंत महत्वपूर्ण स्थल है। 02 सितंबर 1970 को तत्कालीन राष्ट्रपति वीवी गिरि और तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री करुणानिधि की अध्यक्षता में आयोजित समारोह में यह स्मारक स्थल राष्ट्र को समर्पित किया गया था।

हालांकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रहे एकनाथ रानडे के उल्लेखनीय योगदान की वजह से यह स्मारक हकीकत में बदल पाया। रानाडे ने स्वामी विवेकानंद शिला स्मारक के लिए वामपंथी नेता ज्योति बसु से लेकर समाजवादी नेता डॉ. राममनोहर लोहिया और देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री तक को एकमत करने की अद्भुत मिसाल कायम की। साथ ही इस स्मारक स्थल को पूर्णता तक पहुंचाने के लिए अपनी मुहिम के दौरान उन्होंने अथक मेहनत की।

कहते हैं कि विश्व धर्म सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए स्वामी विवेकानंद जब शिकागो जा रहे थे, वे कन्याकुमारी में कुछ समय रुके थे। इसी दौरान एक दिन वे समुद्र में तैरकर इस विशाल शिला तक पहुंच गए। यहां पहुंचकर उन्होंने साधना की, जिससे उन्हें जीवन का नया दर्शन मिला।

दुनिया भर से लोग समुद्र की लहरों से घिरी इस विरासत को देखने के लिए पहुंचते हैं। भवन के भीतर ऊंचे प्लेटफॉर्म पर स्वामी विवेकानंद की करीब साढ़े 8 फीट ऊंची कांसे की प्रतिमा है। नीले और लाल ग्रेनाइट पत्थरों से बने स्मारक पर 70 फीट ऊंचा गुंबद है। यह स्मारक दो चट्टानों के शीर्ष पर स्थित है और द्वीर से करीब 500 मीटर की दूरी पर है। यहां से सूर्योदय और सूर्यास्त, दोनों ही दर्शनीय है।

अप्रैल में पड़ने वाली चैत्र पूर्णिमा पर यहां चंद्रमा और सूर्य दोनों एकसाथ एक क्षितिज पर आमने-सामने दिखते हैं। इस स्मारक का प्रवेश द्वार अजंता-एलोका गुफा मंदिर के समान है जबकि इसका मंडप कर्नाटक के बेलूर के श्रीरामकृष्ण मंदिर के समान है।