दुनिया के इतिहास में 11 सितंबर की तारीख दुखद घटना के रूप में भी दर्ज है। विश्व के सबसे ताकतवर देश अमेरिका के सीने पर इस दिन हुए आतंकी हमले ने एक ऐसा जख्म दिया, जिसकी टीस हर पल महसूस की जाती है। 2001 को 11 सितंबर को ही आतंकवादियों ने यात्री विमानों को मिसाइल की तरह इस्तेमाल करते हुए अमेरिका के विश्व प्रसिद्ध वर्ल्ड ट्रेड टॉवर और पेंटागन को निशाना बनाया।
इस दिन मंगलवार था। किसी आम दिन की तरह अमेरिकी नागरिक सुबह उठकर अपने काम पर जा चुके थे। न्यूयॉर्क के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में भी करीब 18 हजार कर्मचारी अपने-अपने कामों में व्यस्त थे। यहां बड़ी-बड़ी कंपनियों के ऑफिस थे। तभी 8 बजकर 45 मिनट पर बोइंग 767 तेज रफ्तार से वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के नॉर्थ टॉवर से जा टकराया। सैकड़ों लोग मारे गए और इतने ही लोग आग और धुएं के बीच कैद होकर रह गए। अभी तक पूरी दुनिया इसे एक हादसा समझ रही थी।
ठीक 18 मिनट बाद एक दूसरा बोइंग 767 बिल्डिंग के साउथ टॉवर से जा टकराया। बिल्डिंग में आग लग गई और कई लोग मारे गए। अब यह साफ हो चुका था कि यह हादसा नहीं बल्कि आतंकवादी हमला है। दरअसल 19 आतंकियों ने चार विमान हाईजैक किए थे। दो विमान वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के दोनों टॉवरों से टकरा गए। तीसरा विमान अमेरिकी रक्षा मंत्रालय यानी पेंटागन से टकराया। पेंटागन में 184 लोग मारे गए। चौथा विमान शेंकविले में एक खेत में क्रैश हुआ।
इसे मानव इतिहास का सबसे भीषण आतंकी हमला माना जाता है। हमले में 93 देशों के करीब 3000 लोग मारे गए। हाईजैकर्स में 15 सऊदी अरब के थे, जबकि बाकी यूएई, मिस्र और लेबनान के थे। इस हमले के बाद ही अलकायदा का चीफ ओसामा बिन लादेन दुनिया का मोस्ट वांटेड आतंकी बना। अमेरिका ने लादेन को जिंदा या मुर्दा पकड़ने के लिए 2.5 करोड़ डॉलर का इनाम रखा था। आखिरकार 02 मई, 2011 को अमेरिका ने अपने सीक्रेट मिशन के तहत पाकिस्तान के एबटाबाद में छिपकर रह रहे लादेन को मार गिराया।
इसके अलावा 11 सितंबर, 1893 की तारीख भी इतिहास में विश्व धर्म सम्मेलन के लिए याद की जाती है। इस सम्मेलन में स्वामी विवेकानंद ने जैसे ही “सिस्टर्स एंड ब्रदर्स ऑफ अमेरिका” कहकर अपना भाषण शुरू किया, पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा। यह पहला मौका था, जब पश्चिम का सामना पूरब के धर्माचार्य से हो रहा था। उस समय पश्चिमी देशों के सामने भारतीय संस्कृति, अभ्यास और दर्शन नया-नया ही था। विवेकानंद के इस बहुचर्चित भाषण ने भारत की छवि को नया आयाम दिया।
स्वामी विवेकानंद ने अपने भाषण में सांप्रदायिकता, धार्मिक कट्टरता और हिंसा का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा था कि सांप्रदायिकता और कट्टरता लंबे समय से धरती को शिकंजे में जकड़े हुए है और इससे धरती पर हिंसा बढ़ गई है। कई बार धरती खून से लाल हुई है। कितनी ही सभ्यताओं का विनाश हुआ है। न जाने कितने देश नष्ट हुए हैं। उन्होंने अपने भाषण में सहनशीलता और सार्वभौमिकता का मसला भी उठाया था।
यह तारीख इसलिए भी याद की जाती है कि 1906 में दक्षिण अफ्रीका की सरकार ने एक नया कानून बनाया। इस कानून में भारतीय मूल के लोगों के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया गया । जोहान्सबर्ग में 11 सितंबर को ही हुई भारतवंशियों की बैठक में इसका विरोध हुआ। इसमें गांधी जी ने विरोध के लिए अहिंसा का इस्तेमाल करने की पैरवी की। यह संघर्ष सात साल चला। दक्षिण अफ्रीका में भी उस समय अंग्रेजों का शासन था और उन्होंने हजारों भारतीयों को हड़ताल, रजिस्ट्रेशन से इनकार करने, रजिस्ट्रेशन कार्ड जलाने और प्रदर्शन करने के लिए जेल भेज दिया था।