भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 22 अक्टूबर 2008 को चंद्रयान-1 लॉन्च किया, जो 30 अगस्त 2009 तक चंद्रमा के चक्कर लगाता रहा। चंद्रयान-1 में 11 विशेष उपकरण लगे थे जिसमें एक डिवाइस था- मून इम्पैक्ट प्रोब (एमआईपी) जिसने 14 नवंबर 2008 को चांद की सतह पर उतर कर अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भारतीय क्षमता को साबित कर दिया। इसके पहले केवल अमेरिका, रूस और जापान ही ऐसा करने में कामयाब हुए थे।
खास बात यह कि इसी डिवाइस की मदद से चांद की सतह पर पानी की खोज का पता चला। 24 सितंबर 2009 को इसरो की तरफ से घोषणा की गई कि चंद्रयान-1 ने चांद की सतह पर पानी के प्रमाण तलाशे हैं। यह इतनी बड़ी खोज थी कि नासा ने भी पहले ही प्रयास में इसरो की इस कामयाबी को सराहा।