कोलकाता : पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा एक वैश्विक महोत्सव की तरह मनाया जाता है। यहां हर गली चौक चौराहे पर विशालकाय पूजा पंडालों में बड़ी बड़ी मां दुर्गा की प्रतिमाओं को देखने के लिए ना केवल राज्य और देश बल्कि दुनिया भर से लाखों लोग नवरात्रि के करीब सात दिनों तक सड़कों पर रहते हैं। ऐसे में हर जगह छोटे-मोटे स्टॉल, खाने पीने की चीजें, बंगाल की सभ्यता संस्कृति से संबंधित पहनावे, खिलौने और अन्य सामानों के स्टॉल बड़े पैमाने पर लगते हैं।
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि कोरोना संकट के बाद इस साल बड़े पैमाने पर आयोजित हुई पूजा की खरीददारी की वजह से राज्य की अर्थव्यवस्था में 20 से 30 फ़ीसदी बढ़ोतरी हो सकती हैं। ब्रिटिश काउंसिल द्वारा पश्चिम बंगाल सरकार के लिए किए गए अध्ययन में यह बात सामने आई है। पता चला है कि वित्त वर्ष 2019 में दुर्गा पूजा के दौरान हुई खरीदारी का राज्य की अर्थव्यवस्था में कुल 32, 377 करोड़ का योगदान था जो इस बार बढ़कर ज्यादा हो सकता है। इस अध्ययन में इस बात की जानकारी मिली है कि दुर्गा पूजा अर्थव्यवस्था में खुदरा कारोबार की 85 फीसदी भागीदारी है। इसमें पंडाल बनाने से लेकर लाइट सज्जा, विज्ञापन, भोजन और अन्य बिक्री में होने वाला खर्च शामिल है।
कनफेडरेशन ऑफ वेस्ट बंगाल ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सुशील पोद्दार ने बताया कि खपत वाले कई क्षेत्रों में जो रुझान देखे जा सकते हैं उससे स्पष्ट है कि इस बार 20 से 30 फीसदी आर्थिक वृद्धि होगी। राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में इस वर्ष दुर्गा पूजा का वित्तीय हिस्सा 2.5 फ़ीसदी तक हो सकता है। वित्त वर्ष 2022 – 23 के बजट के अनुसार पश्चिम बंगाल का जीडीपी इस साल 17, 1 3154 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है।