नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की से टेलीफोन पर वार्ता कर यूक्रेन और रूस के बीच जारी संघर्ष को समाप्त करने के लिए शांति प्रयासों में योगदान करने की पेशकश की।
एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार मोदी ने जेलेंस्की के साथ अपनी बातचीत में संघर्ष के यथाशीघ्र समाप्त होने तथा बातचीत और कूटनीति के रास्ते पर लौटने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत का यह पक्का विश्वास है कि किसी विवाद का सैन्य समाधान नहीं हो सकता। उन्होंने शांति प्रयासों में भारत के योगदान की पेशकश की।
प्रधानमंत्री ने दोहराया कि संयुक्त राष्ट्र चार्टर, अंतरराष्ट्रीय कानून और सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान किया जाना चाहिए।
मोदी ने यूक्रेन सहित सभी देशों में परमाणु संयंत्रों की सुरक्षा और बचाव पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि परमाणु संयंत्रों पर किसी प्रकार के खतरे से लोगों को स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए दूरगामी विनाशकारी परिणाम होंगे।
दोनों नेताओं ने गत वर्ष नवंबर में ब्रिटेन के ग्लासगो में अपनी मुलाकात के बाद मंगलवार को द्विपक्षीय सहयोग के अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर भी चर्चा की।
उल्लेखनीय है कि इस वर्ष फरवरी में यूक्रेन और रूस के बीच सैन्य संघर्ष के बाद से प्रधानमंत्री मोदी ने जेलेंस्की और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ कई बार बातचीत की थी। उन्होंने दोनों देशों के नेताओं से संघर्ष तुरंत समाप्त कर बातचीत और कूटनीति की ओर लौटने का आग्रह किया था। मोदी ने पिछले महीने समरकंद में राष्ट्रपति पुतिन के साथ वार्ता में कहा था कि आज का युग युद्ध का नहीं है। उन्होंने यूक्रेन के भारतीय छात्रों को बाहर निकालने के सिलसिले में दोनों देशों की सरकारों से मिले सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया था।
यूक्रेन संघर्ष के सिलसिले में भारत ने तटस्थ भूमिका निभाई है। शांति प्रयासों में भारत की भूमिका का महत्व स्वीकार करते हुए मैक्सिको ने पिछले दिनों संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक तीन सदस्यीय समिति के गठन का सुझाव दिया था। मैक्सिको के राजदूत ने कहा था कि यूक्रेन में संघर्ष के खात्मे के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, ईसाई धर्म गुरु पोप फ्रांसिस और संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस की एक समिति गठित की जानी चाहिए जो शांति प्रयासों के लिए काम करे।