इतिहास के पन्नों में 06 अक्टूबरः भारत में किस अपराध की कितनी सजा, 162 साल पहले हुआ था तय

विश्व इतिहास में अच्छी-बुरी घटनाओं के रूप में दर्ज 06 अक्टूबर की तारीख भारतीय विधिशास्त्र के लिए अहम है। भारतीय दंड संहिता या भारतीय दंड विधान यानी इंडियन पीनल कोड 1860 में 06 अक्टूबर को ही पारित हुआ था। उसे एक जनवरी 1862 से लागू किया गया। हत्या से लेकर दुष्कर्म तक और चोरी से लेकर मानहानि तक हर अपराध की सजा क्या होगी, इसमें ही तय किया गया।

1837 में थॉमस मैकाले की अध्यक्षता में पहले लॉ कमीशन ने इंडियन पीनल कोड का ड्राफ्ट बनाना शुरू किया था। 1850 में ड्राफ्टिंग का काम पूरा हुआ और 1856 में इसे लेजिस्लेटिव काउंसिल के सामने पेश किया गया। बार्न्स पीकॉक ने ड्राफ्ट में आवश्यक सुधार किए। पीकॉक बाद में कलकत्ता हाई कोर्ट के पहले चीफ जस्टिस भी बने। उस समय आईपीसी को बनाने वालों के दिमाग में कहीं न कहीं गुलाम और आका वाली मानसिकता थी। इस वजह से राजद्रोह जैसे कई सेक्शन पर विवाद रहा। 1860 के बाद से अब तक आईपीसी के कई सेक्शन बदले जा चुके हैं।

इसके अलावा अमेरिका ने 1945 में जापान पर परमाणु हमला किया तो सोवियत संघ यानी आज का रूस बेचैन हो गया। उसने 06 अक्टूबर 1951 को परमाणु हथियारों की होड़ में शामिल होने का ऐलान कर दिया। सोवियत संघ के प्रमुख अखबार ‘प्रावदा’ में जोसेफ स्टालिन का इंटरव्यू छपा था, जिससे लोगों को पहली बार पता चला कि 1949 में परमाणु बम टेस्ट करने के बाद सोवियत संघ ने भी परमाणु बम बना लिया है। सोवियत संघ के ऐलान के बाद ब्रिटेन ने 03 अक्टूबर 1952 को पहली बार परमाणु बम बनाने का दावा किया। फिर चीन, इजराइल, भारत, पाकिस्तान और उत्तर कोरिया भी होड़ में शामिल हो गए।

अंग्रेज जैसन लुईस ने 12 जुलाई 1994 में एक्स्पीडिशन 360 नाम से ग्रीनविच, लंदन से दुनिया का चक्कर लगाने का अभियान शुरू किया था। 46,000 मील की इस यात्रा में 4,833 दिन लगे। इस दौरान उन्होंने ह्यूमन-पॉवर से चलने वाले परिवहन साधनों का ही इस्तेमाल किया, जैसे- साइकिल, रोलर ब्लेड्स और पैडल से चलने वाली बोट। आज ही के दिन 2007 में जैसन को दुनिया का चक्कर लगाने में कामयाबी मिली।

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