विश्व इतिहास में 09 अक्टूबर की तारीख अहम घटनाओं के रूप में दर्ज है। इसी तारीख को 1967 में क्यूबा के क्रांतिकारी चे ग्वेरा को गोली मार दी गई थी। चे को समूची दुनिया में सत्ता विरोधी संघर्ष के प्रतीक के तौर पर जाना जाता है। 14 जून, 1928 को अर्जेंटीना में चे ग्वेरा का जन्म हुआ था। उनका पूरा नाम अर्नेस्तो चे ग्वेरा था। लोग उन्हें प्यार से चे बुलाते थे। चे ने मेडिसिन की पढ़ाई की। वो चाहते तो डॉक्टर का पेशा अपनाकर आराम से अपनी जिंदगी गुजार सकते थे, लेकिन अपने आसपास भीषण गरीबी देखकर उन्होंने क्रांति का रास्ता चुना।
युवावस्था में चे ने मोटरसाइकिल से तकरीबन 10 हजार किलोमीटर की यात्रा की। इस दौरान वे दक्षिण अमेरिका के कई देशों में गए और उन्होंने भीषण गरीबी, मजदूरों की दुर्दशा और पूंजीवादी सत्ता का दमन देखा। अपनी इस यात्रा पर चे ने एक डायरी भी लिखी थी, जिसे उनकी मौत के बाद ‘द मोटरसाइकिल डायरी’ के नाम से छापा गया। यात्रा से लौटते ही उन्होंने पूंजीवादी सत्ता के खिलाफ आवाज उठाने का फैसला कर लिया था। इसी दौरान उनकी मुलाकात फिदेल कास्त्रो से हुई। दोनों ने मिलकर क्यूबा की तानाशाह सरकार को उखाड़ फेंकने की कसम खाई। उन्होंने गुरिल्ला लड़ाकों की फौज बनाई। धीरे-धीरे चे का आंदोलन तेजी पकड़ने लगा और साल 1959 में चे ने क्यूबा में तख्तापलट कर दिया।
फिदेल कास्त्रो के नेतृत्व में वहां कम्युनिस्ट सरकार बनी और चे को उद्योगमंत्री बनाया गया। 1959 में बतौर क्यूबा के उद्योगमंत्री चे भारत भी आए। कुछ साल बाद चे और कास्त्रो के बीच रूस और चीन के साथ संबंधों को लेकर मतभेद होने लगे। चे ने क्यूबा छोड़ दिया और दूसरे लैटिन अमेरिकी देशों में क्रांति करने निकल पड़े। कुछ समय वे कांगो में रहे उसके बाद बोलीविया आ गए। इस दौरान सीआईए उनके पीछे पड़ी रही। बोलीविया के जंगलों से चे को गिरफ्तार कर लिया गया और 9 अक्टूबर 1967 को चे को गोली मार दी गई।
इस इतिहास में पाकिस्तान की मलाला यूसुफजई का नाम भी दर्ज है। उनका जन्म 1999 में हुआ और 2009 में जब उन्होंने गुल मकई के नाम से बीबीसी उर्दू के लिए डायरी लिखनी शुरू की तो वे सुर्खियों में आईं। यह डायरी बाहरी दुनिया के लिए थी, जिसमें वे स्वात घाटी में तालिबान के साये में जिंदगी बयां करती थीं। मलाला से आतंकवादी नाराज थे। इसी वजह से 2012 में 9 अक्टूबर को तालिबान ने मलाला को सिर पर गोली मार दी थी। हालत इतनी खराब थी कि कोमा में ही उसे इलाज के लिए यूके लेकर जाना पड़ा था। 2014 में उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उस समय वे सिर्फ 17 वर्ष की थीं। यह पुरस्कार हासिल करने वाली वे दुनिया की सबसे युवा हस्ती हैं। अब वे यूके में ही स्कूल चलाती हैं और मानवाधिकार को लेकर अपनी आवाज उठाती रहती हैं।
गूगल ने 2006 में 9 अक्टूबर को ही घोषणा की थी कि वह 165 करोड़ डॉलर में यूट्यूब खरीद रहा है। आज इस यूजर जनरेटेड कंटेंट वीडियो प्लेटफॉर्म पर 200 अरब से ज्यादा लॉग-इन यूजर्स हर महीने आते हैं। हर रोज लोग एक अरब घंटे से ज्यादा वीडियो देखते हैं। अरबों व्यूज जनरेट करते हैं। यूट्यूब की ऑफिशियल वेबसाइट के मुताबिक 70 फीसदी यूट्यूब वॉच टाइम मोबाइल डिवाइस के जरिए आता है। कंपनी 100 से ज्यादा देशों के लिए इसका लोकल वर्जन लॉन्च कर चुकी है। यह करीब 80 भाषाओं में उपलब्ध है।