कोलकाता : तृणमूल सांसद शांतनु सेन ने एक बार फिर केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का आऱोप लगाया है। शिक्षक भर्ती भ्रष्टाचार मामले में तृणमूल विधायक मानिक भट्टाचार्य की गिरफ्तारी पर टिप्पणी करते हुए राज्यसभा सांसद ने कहा कि भाजपा के नेता का नाम भले ही ईडी, सीबीआई के रजिस्टर में है, लेकिन उन्हें नहीं बुलाया जाता है। चुनिंदा गैर भाजपा सरकार वाले राज्यों में केंद्रीय जांच एजेंसियां अत्यधिक सक्रिय हैं।
उन्होंने आगे कहा कि मैं लंबित मामलों के बारे में निश्चित रूप से कुछ नहीं कहूंगा। मैं कहूंगा कि ईडी ने मानिक भट्टाचार्य को गिरफ्तार कर लिया है लेकिन हम जानते हैं कि अपराधों को साबित करने के मामले में ईडी की सफलता का दर केवल 0.45 प्रतिशत है। हमने देखा है कि पिछले कुछ वर्षों में ईडी और सीबीआई का उपयोग कैसे 365 प्रतिशत बढ़ा है। जिनमें से 95 फीसदी का इस्तेमाल चुनिंदा विपक्षी दलों नेताओं के खिलाफ किया गया है। विपक्षी दलों का नेतृत्व तृणमूल कांग्रेस कर रही है। हमने यह भी देखा है कि केंद्रीय एजेंसी बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार में लिप्त भाजपा नेताओं को नहीं छूती है। इसलिए हम चाहते हैं कि जांच जल्दी पूरी हो, सच्चाई सामने आएगी।
वहीं शांतनु सेन ने यह भी कहा कि भाजपा पिछले कुछ वर्षों में अपने 20 राजनीतिक सहयोगियों को खो चुकी है। अब उनके सबसे बड़े राजनीतिक सहयोगी ईडी और सीबीआई हैं। साथ ही उन्होंने सवाल उठाया कि सारदा मामले में राज्य के विपक्षी दल के नेता का नाम एफआईआर में होने के बावजूद उन्हें क्यों नहीं बुलाया जा रहा है?
वहीं मानिक भट्टाचार्य की गिरफ्तारी के बाद से विपक्षी दल लगातार तृणमूल कांग्रेस पर निशाना साध रहे हैं। भाजपा नेता शमिक भट्टाचार्य ने टिप्पणी करते हुए कहा कि लंबे समय से भर्ती भ्रष्टाचार मामले में मानिक भट्टाचार्य आरोपों के घेरे में थे। सोची समझी साजिश के तहत भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया और मानिक भट्टाचार्य को पता नहीं था, ऐसा तो नहीं हो सकता है। निश्चित रूप से वे इस साजिश में शामिल थे। कानून अपने तरीके से काम करेगा। इसलिए ईडी कब किसे गिरफ्तार करेगा और पूछताछ करेगा, यह उसके ऊपर है। हमें इस बारे में कुछ नहीं कहना है।
सीपीएम नेता विकासरंजन भट्टाचार्य ने कहा कि मानिक भट्टाचार्य भ्रष्टाचार के नायकों में से एक हैं। जांच में जांच एजेंसी का सहयोग करना सभी की नैतिक जिम्मेदारी है। गिरफ्तारी से बचने के लिए मानिक भट्टाचार्य सुप्रीम कोर्ट गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने जांच में सहयोग करने को कहा। उन्होंने फिर भी सहयोग नहीं किया। ऐसे में उन्हें गिरफ्तार करने के अलावा कोई चारा नहीं था। समस्या यह है कि वे अभी भी सच नहीं बोल रहे हैं। उन्होंने यह नहीं बताया कि पैसे लेकर नियुक्ति करने का अंतिम फैसला कहां किया गया था। जब तक इसका पता नहीं चलेगा तब तक जांच खत्म नहीं होगी, इसलिए उनसे पूछताछ की जानी है।