देश-दुनिया के इतिहास में 13 अक्टूबर की तारीख के मायनों में याद की जाती है। तमाम ऐसी घटनाएं हैं, जिससे यह तारीख इतिहास का अहम हिस्सा है। भारतीय सिनेमा के लिए भी यह यादगार तारीख है। साल 1987 में इसी तारीख को पार्श्व गायक किशोर कुमार ने दुनिया को अलविदा कहा था। उनके सुरों से सजे तमाम गीत लोग आज भी गुनगुनाते हैं। ऐसा ही एक गीत है-पल पल दिल के पास तुम रहती हो…। यह गीत निर्देशक विजय आनंद की फिल्म ‘ब्लैकमेल’ का है।
यह गीत- ‘पल पल दिल के पास तुम रहती हो/ पल पल दिल के पास तुम रहती हो/ जीवन मीठी प्यास ये कहती हो/ पल पल दिल के पास तुम रहती हो/ हर शाम आंखों पर तेरा आंचल लहराए/ हर रात यादों की बारात ले आए/ मैं सांस लेता हूं/ तेरी खुशबू आती है/ इक महका-महका सा पैगाम लाती है/ मेरे दिल की धड़कन भी तेरे गीत गाती है / पल पल दिल के पास तुम रहती हो…/ कल तुझको देखा था, मैंने अपने आंगन में/ जैसे कह रही थी तुम, मुझे बांध लो बंधन में/ ये कैसा रिश्ता है, ये कैसे सपने हैं/ बेगाने हो कर भी, क्यों लगते अपने हैं/ मैं सोच में रहता हूँ, डर-डर के कहता हूं/ पल पल दिल के
सिनेमा की इस महान हस्ती के योगदान को भारतीय सिनेमा कभी भुला नहीं सकता। किशोर कुमार के गाने युवा दिलों की धड़कन हैं। किशोर कुमार न सिर्फ पेशेवर तौर पर बल्कि निजी जिंदगी में भी काफी मस्तमौला इंसान थे। किशोर कुमार को ईश्वर ने बहुआयामी प्रतिभा से नवाजा। वह अभिनय में भी अव्वल रहे हैं। सबसे दिलचस्प यह कि वह महिला की आवाज में भी गा सकते थे। साल 1962 की फिल्म ‘हाफ टिकट’ का गीत ‘आके सीधी लगी दिल पे जैसी…’ इसका बेजोड़ उदाहरण है। किशोर कुमार की कल्पना की उड़ान बेहद अलग थी। अपने घर को लेकर उनका सपना था। इसे पूरा करने के लिए उन्होंने अपने घर पर एक आर्किटेक्चर को बुलाया और कहा- इसे इस तरह बनाओ जिसके हर कमरे में पानी ही पानी हो। वह यह भी चाहते थे कि उनके पलंग के पास एक नाव हो, जिस पर बैठकर वे डाइनिंग हॉल तक जा सकें। हालांकि उनका यह सपना पूरा नहीं हो पाया।
किशोर कुमार का जन्म 04 अगस्त 1929 को मध्य प्रदेश के खंडवा में हुआ था। भारतीय सिनेमा में कई सुरों के सितारे आए पर किशोर कुमार की आवाज का जादू आज भी बरकरार है। उनका असल नाम आभास कुमार गांगुली था। धनी परिवार में जन्मे किशोर कुमार का बचपन से एक ही सपना था। वह अपने बड़े भाई अशोक कुमार से ज्यादा पैसे कमाना चाहते थे। उनके पसंदीदा गायक केएल सहगल थे। किशोर चार भाई-बहनों अशोक कुमार, सती देवी, अनूप कुमार में सबसे छोटे थे। उनका निधन 13 अक्टूबर 1987 में हुआ था।
सपनों के शहर मुंबई में रहने के बावजूद किशोर कुमार का मन हमेशा अपने जन्मस्थान खंडवा में रमा रहा। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था-‘कौन मूर्ख इस शहर में रहना चाहता है। यहां हर कोई दूसरे का इस्तेमाल करना चाहता है। कोई दोस्त नहीं है। किसी पर भरोसा नहीं कर सकते हैं। मैं इन सबसे दूर चला जाऊंगा। अपने शहर खंडवा में। इस बदसूरत शहर में भला कौन रहे।’ सत्तर और अस्सी के दशक में किशोर कुमार सबसे महंगे गायक थे। उन्होंने उस वक्त के सभी बड़े सितारों के लिए अपनी आवाज दी। खासकर राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन के लिए उनकी आवाज बेहद पसंद की जाती थी। राजेश खन्ना को सुपरस्टार बनाने में किशोर का बड़ा योगदान माना जाता है।
किशोर कुमार ने चार शादी कीं। उनकी पहली पत्नी रूमा गुहा ठाकुरता थी। शादी के 8 साल बाद उन्होंने उनसे तलाक ले लिया। इसके बाद 1960 में मधुबाला से शादी की। गंभीर रूप से बीमार पड़ने के बाद 35 साल की आयु में मधुबाला का देहांत हो गया। इसके बाद किशोर कुमार की जिंदगी में योगिता बाली आईं। महज दो साल बाद योगिता से भी उनका रिश्ता टूट गया। इसके बाद किशोर कुमार ने साल 1980 में अपने से 20 साल छोटी लीना से शादी की।
किशोर कुमार ने कई फिल्मों में अभिनय किया। इनमें ‘कौन जीता कौन हारा’, ‘मनमौजी’, ‘चलती का नाम गाड़ी’, ‘झुमरू’, ‘काला बाज़ार’, ‘शिकारी’ प्रमुख हैं। लेकिन गायन ने ही किशोर को लोगों के बीच प्रसिद्धि दिलाई। किशोर के गाए ‘मेरे महबूब कयामत होगी’, ‘एक लड़की भीगी भागी सी’, ‘मेरे सामने वाली खिड़की में’, ‘मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू’, ‘जिंदगी का सफर’, ‘कुछ तो लोग कहेंगे’, ‘पल-पल दिल के पास’ जैसे गीतों को लोगों का खूब प्यार मिला।