कोलकाता : राजधानी कोलकाता के मशहूर बड़ाबाजार में एक बार फिर बारिश की वजह से एक तीन मंजिला मकान का हिस्सा ढहने से 2 लोगों की मौत हो गई, वहीं इस दुर्घटना की चपेट में आने से 2 अन्य लोग घायल भी हुए हैं, जिनका महानगर के अस्पताल में इलाज चल रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार घटना जोड़ासाँको थाना इलाका स्थित रविंद्र सरणी में शनिवार की शाम करीब सवा 7 बजे घटी। यहां स्थित एक तीन मंजिला मकान के ऊपरी तल्ले का बालकनी का हिस्सा ढह गया। इसकी चपेट में आकर मो. तौफीक (20) और राजीव गुप्ता (47) की मौत हो गई। तौफीक स्कूटर पर सवार होकर मकान के पास से गुजर रहा था, वहीं राजीव एक राहगीर था। इसके साथ ही 2 और राहगीर प्रदीप दास (39) और सुभाष हाजरा (32) दुर्घटना में घायल हुए हैं।
स्थानीय लोगों ने बताया कि पुरानी इमारत गिर पड़ी। यहां पास से गुजर रहे चारों लोग मलबे की चपेट में आ गए। स्थानीय लोगों से सूचना मिलने के बाद कोलकाता पुलिस की आपदा प्रबंधन टीम और अग्निशमन की टीम मौके पर पहुंची। लोगों के साथ मिलकर चारों को बाहर निकाला गया।
उत्तर कोलकता भाजपा के सचिव राजीव सिन्हा ने आरोप लगाया कि स्थानीय नेताओं और प्रोमोटरों की जोड़ीदारी ने बड़ाबाजार के स्थानीय नागरिकों का जीना मुहाल कर दिया है, उन्हें बड़ाबाजार छोड़ने पर मजबूर कर दिया है। वोटबैंक की राजनीति की वजह से फुटपाथों पर अवैध कब्ज़ा से पहले ही लोगों का जीना मुहाल था, अब पुराने मकानों में कोमर्शियल प्रमोटिंग करने के लिए मकान मालिकों ने मकानों की मरम्मत जानबूझकर बन्द कर दी है ताकि किरायेदार ख़तरनाक, जर्जर मकानों से डरकर भाग जाएं और प्रमोटर स्थानीय नेताओं और असामाजिक तत्वों के साथ मिलकर प्रमोटिंग कर सकें।
सबसे अधिक दुःख की बात ये है, कि जहां लोगों के मकानों या घरों के नीचे पहले फुटपाथ पर कब्ज़ा जमाकर व्यवसाय की शुरुआत हुई वहां तक भी स्थानीय निवासियों को उतनी परेशानी नहीं हुई लेकिन अब रबिन्द्र सरणी ट्राम रास्ता, महात्मा गांधी रोड, कलाकार स्ट्रीट, गणेश टॉकीज, राम मंदिर इलाके के व्यस्ततम मेन रोड पर भी साईकल वैन पर फल सब्ज़ी का कारोबार वृहद पैमाने पर पिछले पांच सालों में बढ़ा है। ट्रैफिक जाम समस्या से यहां के स्थानीय नागरिक परेशान तो हैं लेकिन वोट बैंक की राजनीति के चक्रव्यूह में फंसे नेताओं तक अपनी समस्या पहुंचाने से झिझकते हैं या यूं कहें डरते हैं। पहले से ही अवैध पार्किंग सिंडिकेट की मार झेल रहे बड़ाबाजार के बेचारे स्थानीय लोग अब इस नई सुनियोजित साइकिलवैन सिंडिकेट के भी शिकार हैं। यहां के अधिकांश बेरोजगार युवा समस्या का हल सस्ते नशे में ढूंढ चुके हैं, महंगी शराब से दूर गांजा और योयो टैबलेट के धुंए में दिन रात अपने सपनों का महल खड़ा करते हुए नज़र आते हैं। बिल्डिंग प्रमोटर उन्हें काम और कमाई देने के नाम पर निर्माणाधीन साइट पर गांजा शराब और मुर्गा भात खिला रहे हैं। वैसे विकास के नाम पर और बदहाली दूर करने के नाम पर विभिन्न दलों के जो प्रत्याशी यहां चुनाव लड़ने आते हैं वे भी ज्यादातर यहां के बाशिंदे नहीं हैं, वे खुद दिन भर राजनीति के साथ साथ यहां व्यवसाय करते हैं और शाम होते यहां से पलायन कर जाते हैं।