कोलकाता : विधानसभा चुनाव के बाद से बंगाल में शुरू हुई भाजपा की तकरार थमने का नाम नहीं ले रही है। अब पार्टी के वरिष्ठ नेता सायंतन बसु ने भी पार्टी हाईकमान को पत्र लिखकर पार्टी नेतृत्व पर सवाल उठाया है। उन्होंने वर्ष 2019 के बंगाल भाजपा नेतृत्व की जोड़ी को दोबारा राज्य में बहाल करने की मांग की है।
भाजपा नेता सायंतन बसु ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को “बंगाल में भाजपा की वर्तमान स्थिति” शीर्षक से एक पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने वर्ष 1980 से लेकर वर्ष 2019 तक पार्टी के लिए बेहतर कार्य करने वालों का जिक्र किया है। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने चार दशकों में भाजपा को राज्य में मजबूत बनाया, आज वे किनारे लगा दिए गए हैं। जो वर्ष 2021 के विधानसभा चुनाव से पहले दूसरी पार्टी छोड़कर भाजपा में आए, वे लोग आज फैसले ले रहे हैं। ऐसे लोगों को वर्ष 2021 के विधानसभा चुनाव में अपेक्षाकृत सुरक्षित सीटों पर उम्मीदवार बनाया गया था, जबकि जो लोग पार्टी को मजबूत बनाने में शुरुआत से लग रहे थे, वे दरकिनार कर दिए गए हैं। उन्होंने कुछ क्षेत्रों का जिक्र करते हुए लिखा है कि दुर्गापुर, बिधाननगर, पानीहटी, बैरकपुर, जलपाईगुड़ी, आदिसप्तग्राम, कालना, भवानीपुर जैसी सीटों पर पार्टी को इसी वजह से हार का सामना करना पड़ा था। बावजूद इसके पार्टी ने कोई सीख नहीं ली और अब पंचायत चुनाव है तब भी कोई सुधार नहीं हो रहे।
उन्होंने अपने पत्र में यह भी लिखा है कि सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस हर रोज भ्रष्टाचार के एक नए चक्र में फंस रही है, लेकिन भाजपा राजनीतिक तौर पर इसका विरोध करने और आंदोलन खड़ा करने में विफल है। उदाहरण देते हुए उन्होंने लिखा है कि हाल ही में वाममोर्चा के युवा संगठन ने 35 हजार युवाओं को लेकर एक बड़ा आंदोलन किया है, जिसके लिए किसी भी ट्रेन अथवा गाड़ी को किराए पर नहीं लेना पड़ा। उन्होंने शीर्ष नेताओं की सोशल मीडिया पर सक्रियता का जिक्र करते हुए कहा है कि वर्चुअल तरीके से आंदोलन और क्रांति नहीं होती, पार्टी के कुछ लोग यूट्यूब और फेसबुक के जरिए से बयानबाजी कर गुमराह भी कर रहे हैं। इसकी वजह से लोगों के बीच गलत संदेश जा रहा है और भविष्य में पंचायत चुनाव तृणमूल और माकपा के बीच मुकाबले वाला रह जाएगा।
उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि वर्तमान में पार्टी में नए लोगों को जिलाध्यक्ष बनाया जा रहा है। मैं युवाओं के खिलाफ नहीं हूं लेकिन ऐसे लोगों को जिम्मेदारी संभालने और काम सीखने के लिए समय दिया जाना चाहिए। हमारे राज्य में काफी पुराने नेता कार्यकर्ता नेता प्रतिपक्ष और सांसद हैं। कई लोग खुद को पार्टी से ऊपर साबित करने के लिए केवल अपने बखान में जुटे हुए हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए बल्कि राष्ट्र की भावना के साथ उन्हें पार्टी के हित में काम करना होगा। उन्होंने यह भी दावा किया है कि सीबीआई और ईडी जैसी केंद्रीय एजेंसियों से बचने के लिए कई लोग भाजपा का दामन थाम रहे हैं। बंगाल के लोगों के बीच यह भरोसा बढ़ता जा रहा है कि भाजपा विश्वास योग्य पार्टी नहीं रह गई है बल्कि यह तृणमूल कांग्रेस से नाराज नेताओं की पार्टी बनती जा रही है। भाजपा बंगाल में एक बार फिर सत्ता का विकल्प हो सकती है अगर वर्ष 2019 की नीति को लौटाया जाए।
सायंतन बसु के इस पत्र से बंगाल भाजपा एक बार फिर मुश्किल में पड़ गई है। पार्टी के शीर्ष नेताओं ने इस मसले पर मुंह खोलने से इनकार किया है।