देश-दुनिया के इतिहास में 29 अक्टूबर की तारीख तमाम अहम कारणों से दर्ज है। इसे देश के इतिहास में दुखद घटना के रूप में याद किया जाता है। वो 29 अक्टूबर, 2005 की शाम थी। दिल्ली के बाजार सजे-धजे थे। लोग घरों से त्योहारों की खरीदारी करने बाहर निकले थे। तमाम लोग ऑफिस से लौटने की तैयारी कर रहे थे या अभी रास्ते में थे।
दो दिन बाद ही दीवाली थी। शाम के ठीक साढ़े 5 बजे से अगले आधे घंटे तक एक के बाद एक दिल्ली के तीन अलग-अलग इलाकों में तीन धमाके हुए और त्योहारों की खुशी मातम में बदल गई। रौनक बम धमाकों के धुएं में काली हो गई। हाहाकार मच गया। पहला धमाका पहाड़गंज में हुआ। दूसरा धमाका गोविंदपुरी में हुआ।
तीसरा धमाका सरोजनी नगर में हुआ जिसमें सबसे ज्यादा 50 लोगों की मौत हुई और 127 से ज्यादा लोग घायल हुए। इन धमाकों के पीछे आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का हाथ माना गया। इस आतंकी बर्बरता में साठ से ज्यादा लोगों की जान चली गई।