साल 1950 में चीन ने तिब्बत पर कब्जा करने के इरादे से हजारों हथियारबंद सैनिकों को वहां भेजा। इन सैनिकों ने तिब्बत की जमीन पर चीन का झंडा लहरा कर इसके कुछ हिस्से को स्वायत्तशासी इलाके में बदल दिया। तिब्बत के बाकी हिस्से को चीन के प्रांतों में मिला दिया। चीन के इस संगठित कब्जे के खिलाफ तिब्बत ने 13 नवंबर 1950 को संयुक्त राष्ट्र में अपील की।
दरअसल, तिब्बत पर चीन का कब्जा 1949 में ही हो चुका था। यहां चीन की सैना तैनात कर दी गई और तिब्बत को दुनिया से पूरी तरह काट दिया गया। तिब्बत की भाषा, संस्कृति और धर्म को निशाना बनाकर उसका चीनीकरण शुरू कर दिया। तिब्बत पर चीन की इस बर्बर कार्रवाई के दौर में 1959 में तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा को बड़ी संख्या में तिब्बती नागरिकों के साथ भारत में शरण लेनी पड़ी।