कोलकाता : पश्चिम बंगाल में स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) में एक और भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ है। नियमों के बाहर जाकर वर्क एजुकेशन और फिजिकल एजुकेशन के शिक्षकों के लिए अतिरिक्त पद सृजित करने के मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट ने शुक्रवार को पूरी नियुक्ति प्रक्रिया पर 1 दिसंबर तक अंतरिम स्थगन लगा दिया है।
शुक्रवार को न्यायमूर्ति कौशिक बसु के एकल पीठ ने यह आदेश दिया है। कोर्ट ने माध्यमिक शिक्षा परिषद को स्पष्ट निर्देश दिया कि जिन्हें नियुक्ति के लिए सिफारिश पत्र मिले हैं, उन्हें किसी भी सूरत में नियुक्ति नहीं मिलनी चाहिए।
दरअसल, वर्क एजुकेशन और फिजिकल एजुकेशन के लिए 1600 अतिरिक्त पद सृजित किए गए। इन में से 750 पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हुई थी। इसके पहले एसएससी की ओर से एक अजीबोगरीब मांग कोर्ट में की गई थी और दावा किया गया था कि इन रिक्त पदों पर उन लोगों को शिक्षक के तौर पर नियुक्त कर दिया जाना चाहिए, जिन्हें अवैध तरीके से नियुक्ति की वजह से हाई कोर्ट ने नौकरी से निकाल दिया है। इस पर जब न्यायाधीश ने तीखी नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा कि इन पदों पर उन लोगों की नियुक्ति नहीं की जाएगी, जिन्हें अवैध नियुक्ति के वजह से बर्खास्त किया गया है, बल्कि योग्य लोगों को नियुक्त किया जाएगा। एसएससी के चेयरमैन की ओर से लिखित निर्देशिका भी इस संबंध में कोर्ट में जमा की गई।
हालांकि न्यायाधीश ने स्पष्ट कर दिया कि नियुक्ति प्रक्रिया पर अंतरिम स्थगन रहेगा। न्यायाधीश ने एसएससी से यह भी पूछा कि कितने छात्रों को नियुक्ति के लिए सिफारिश पत्र दिए गए हैं। इसके जवाब में एसएससी की ओर से बताया गया कि वर्क एजुकेशन के लिए 585 रिक्त पदों में से 514 पर नियुक्ति के सिफारिश पत्र दे दिए गए हैं जबकि फिजिकल एजुकेशन के लिए 824 में से 766 लोगों को सिफारिश पत्र दिए गए हैं। इसके बाद न्यायाधीश ने स्पष्ट किया कि किसी को भी नियुक्ति पत्र नहीं दिया जाना चाहिए।
राज्य की ओर से महाधिवक्ता सोमेंद्र नाथ मुखर्जी ने यह भी कहा कि आवश्यकता पड़ेगी तो और अतिरिक्त रिक्त पद सृजित किए जाएंगे, जिन पर परीक्षा पास कर चुके लोगों को नियुक्त किया जाएगा। इसके बाद न्यायाधीश ने कहा कि वे छात्रों के भविष्य को लेकर चिंतित हैं। फिलहाल कितने रिक्त पद बचे हैं, इस बारे में लिखित में जानकारी दी जाए। आगामी 28 नवंबर तक लिखित जानकारी दी जानी है। 30 नवंबर को मामले की अगली सुनवाई होगी।
याचिकाकर्ता सोमा के अधिवक्ता विकास रंजन भट्टाचार्य ने बताया कि राज्य सरकार के पास अतिरिक्त रिक्त पद सृजित करने का अधिकार नहीं है। नियुक्ति के लिए स्कूल सेवा आयोग के जरिए परीक्षा देनी पड़ती है। जो पास करते हैं, उन्हें शिक्षा बोर्ड की ओर से नियुक्ति पत्र दिया जाता है। वर्क एजुकेशन और फिजिकल एजुकेशन के लिए रिक्त पद एक अनुपात 1: 1.4 होना चाहिए लेकिन इस मामले में कोई नियम नहीं माना गया है। यहां तक कि जिन लोगों ने ज्यादा नंबर हासिल किए उन्हें नियुक्ति सूची से बाहर रखा गया। इसके बाद कोर्ट ने स्पष्ट किया कि फिलहाल अंतरिम रोक रहेगी और इसे बेहतर तरीके से समझ बूझ कर जांच का आदेश देने या नियुक्ति प्रक्रिया जारी रखने का निर्णय लिया जाएगा।