9 दिसंबर 1946 को संविधान सभा की पहली बैठक हुई और सच्चिदानंद सिन्हा की अध्यक्षता में प्रथम वक्ता के तौर पर जेबी कृपलानी ने संविधान सभा को संबोधित किया। 25 नवंबर 1949 को संविधान सभा की आखिरी बैठक हुई। संविधान की ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष डॉ. भीमराव अंबेडकर ने इसका समापन किया।
अपने समापन भाषण में डॉ. अंबेडकर ने चर्चित भाषण दिया था जिसमें उन्होंने लोकतंत्र की राह में आने वाली चुनौतियों का जिक्र किया। उन्होंने लोकतंत्र में विरोध को जरूरी तत्व के रूप में रेखांकित किया लेकिन लोकतंत्र में सविनय अवज्ञा, असहयोग आंदोलन जैसे तरीकों को गैर जरूरी बताया। अपने वक्तव्य में उन्होंने राजनीतिक तानाशाही के खतरों और सामाजिक गैर बराबरी का मुद्दा पुरजोर तरीके से उठाया।