कोलकाता : पश्चिम बंगाल के बहुचर्चित मवेशी तस्करी मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने राज्य के 5 आईपीएस अधिकारियों को पूछताछ के लिए दिल्ली के सीजीओ कॉम्प्लेक्स स्थित केंद्रीय मुख्यालय में तलब किया है। इन्हें 3 से 7 दिसंबर के बीच हाजिर होने को कहा गया है।
ईडी के सूत्रों ने इस बात की पुष्टि करते हुए बताया है कि सूची में मूल रूप से वे आईपीएस अधिकारी हैं जिन्होंने मुर्शिदाबाद और बीरभूम जिले में शीर्ष पदों पर काम किया है। इनमें डीआईजी रैंक के दो आईपीएस अधिकारी हैं जबकि दो आईपीएस अधिकारी पुलिस अधीक्षक रह चुके हैं। वर्तमान में तृणमूल कांग्रेस के विधायक और पूर्व आईपीएस अधिकारी रहे हुमायूं कबीर को भी बुलाया गया है। दरअसल मुर्शिदाबाद और बीरभूम दोनों सीमावर्ती जिले हैं। यहीं से सबसे अधिक मवेशियों की तस्करी हुई है इसलिए जहां सेवा दे चुके पुलिस अधिकारी जांच के घेरे में हैं।
दावा है कि सत्तारूढ़ पार्टी के शीर्ष से लेकर प्रशासन के शीर्ष स्तर तक के अधिकारी इसमें संलिप्त रहे थे और मवेशियों से भरे ट्रकों को राज्य में सीमा पार तक सुरक्षित पैसेज दिया जाता था। इसमें बीएसएफ के अधिकारी भी शामिल रहे हैं। सतीश कुमार नाम के एक बीएसएफ कमांडेंट को गिरफ्तार भी किया गया है जिसके पास से करोड़ों रुपये की बरामदगी हुई है। अब आईपीएस अधिकारियों पर ईडी की नजर है।
तृणमूल ने उठाए सवाल
हालांकि समन पर सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने सवाल खड़ा किया है। पार्टी प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा है कि मवेशियों की तस्करी पश्चिम बंगाल से नहीं हो रही बल्कि दूसरे राज्यों से मवेशी बंगाल आते हैं। इसमें सीमा पर खड़ी अमित शाह की पुलिस क्या कर रही है? सच्चाई यह है कि भाजपा के निर्देश पर केंद्रीय एजेंसियां काम कर रही हैं और उनका मकसद केवल राजनीतिक हित साधना है।