शुभेंदु के खिलाफ फिर हाई कोर्ट पहुंची ममता सरकार

Calcutta High Court

कोलकाता : आसनसोल में कंबल वितरण के दौरान हुई दुर्घटना को लेकर विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज हो जाने के बाद राज्य सरकार ने एक बार फिर कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिका लगाई है। राज्य सरकार की ओर से गुरुवार की दोपहर 2:00 बजे कलकत्ता हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव और राजर्षि भारद्वाज के खंडपीठ में याचिका लगाई गई। इसमें न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा के एकल पीठ के फैसले को रद्द करने की मांग की गई है जिसमें उन्होंने नेता प्रतिपक्ष के खिलाफ सभी प्राथमिकी पर अंतरिम स्थगन लगाया था और भविष्य में हाईकोर्ट की अनुमति के बिना शुभेंदु के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज नहीं करने का निर्देश दिया था। मुख्य न्यायाधीश के खंडपीठ ने याचिका स्वीकार कर ली है। राज्य सरकार ने इस मामले में आज ही सुनवाई की मांग की है जिस पर कोर्ट ने आश्वस्त किया है कि जल्द सुनवाई होगी।

उल्लेखनीय है कि पिछले हफ्ते कलकत्ता हाई कोर्ट के न्यायाधीश राजशेखर मंथा के एकल पीठ ने शुभेंदु अधिकारी पर किसी भी तरह की प्राथमिक से पहले हाई कोर्ट की अनुमति लिये जाने का आदेश दिया था। न्यायाधीश ने कहा था कि अधिकतर मामले राजनीति से प्रेरित हैं और नेता प्रतिपक्ष को इस तरह से परेशान नहीं किया जा सकता है। इसलिए भविष्य में अगर उनके खिलाफ किसी तरह की कोई प्राथमिकी होती है तो कोर्ट की अनुमति की जरूरत पड़ेगी।

इधर बुधवार की शाम आसनसोल में कंबल वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया था जिसमें शुभेंदु अधिकारी शामिल हुए थे। उनके वहाँ से जाते ही कंबल लेने के लिए अफरा-तफरी मच गई थी जिसमें दबकर तीन लोगों की मौत हुई है। इस मामले में राज्य सरकार शुभेंदु अधिकारी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करना चाहती है लेकिन हाईकोर्ट की रोक की वजह से ऐसा संभव नहीं हो पा रहा। इसलिए राज्य सरकार की ओर से गुरुवार सुबह के समय हाईकोर्ट के फैसले को रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई गई थी। सुप्रीम कोर्ट में पहले सत्र की सुनवाई के दौरान ही राज्य सरकार ने इस मामले में तत्काल सुनवाई की अर्जी लगाई थी। वहां से प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने याचिका खारिज कर राज्य सरकार को कलकत्ता हाई कोर्ट में ही याचिका लगाने की नसीहत दी। इसके बाद एक बार फिर राज्य सरकार ने हाई कोर्ट का रुख किया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *