कोलकाता : पश्चिम बंगाल के बहुचर्चित शिक्षक नियुक्ति भ्रष्टाचार मामले में जांच कर रहे सीबीआई ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। शुक्रवार को न्यायमूर्ति अभिजीत गांगुली के एकल पीठ में नौवीं और दसवीं श्रेणी में शिक्षकों की भर्ती से संबंधित ओएमआर शीट पेश की गई है। इसमें देखा जा सकता है कि परीक्षार्थी को उत्तर पुस्तिका में केवल तीन नंबर मिले हैं जबकि स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) के सर्वर पर नंबर बढ़ाकर उसे 50 नंबर दिए गए हैं और नौकरी दी गई है। इसे देखकर न्यायाधीश ने आश्चर्य जाहिर किया और एसएससी से पूछा कि यह क्या पीसी सरकार के जादू से हुआ है?
शुक्रवार को कोर्ट ने ओएमआर शीट में गड़बड़ी को लेकर आयोग से बयान मांगा है। न्यायमूर्ति गांगुली ने आयोग से चार दिनों के भीतर इस संबंध में जवाब देने को कहा। संयोग से, सीबीआई ने अदालत में दावा किया कि गाजियाबाद के एक ठिकाने से शिक्षक नियुक्ति भ्रष्टाचार से संबंधित उत्तर पुस्तिकाएं एक हार्ड डिस्क से बरामद की गई हैं। उन उत्तर पुस्तिकाओं की जांच के बाद पता चला कि कई ओएमआर ऐसे भी हैं जिनमें एक या दो प्रश्नों का ही उत्तर दिया गया है। लेकिन 50 से ज्यादा अंक मिले हैं। केंद्रीय जांच एजेंसी का यह भी दावा है कि एसएससी की हार्ड डिस्क जांच का रुख बदल देगी।
कुछ दिन पहले सीबीआई ने जस्टिस गांगुली की कोर्ट में जानकारी दी थी कि बरामद ओएमआर शीट से पता चलता है कि परीक्षा में 10 अभ्यर्थियों को जीरो मिला था लेकिन उनका एसएससी सर्वर पर नंबर 53 है। बाकी जिन्हें एक या दो अंक मिले उनमें से किसी को 51, किसी को 52 अंक मिले। प्रतीक्षा सूची में शामिल 20 अभ्यर्थियों के मामले में नौ अंक बढ़कर 49 हो गए हैं। विपक्ष के वकील फिरदौस शमीम ने अदालत में दावा किया कि मूल ओएमआर शीट नष्ट कर दी गई थी। आयोग ने कोर्ट में यह भी माना कि नौकरी के इच्छुक कुछ उम्मीदवारों की भर्ती अपारदर्शी प्रक्रिया के तहत की गई है।