27 दिसंबर 1975 के दिन के 01 बजकर 35 मिनट पर झारखंड (तब बिहार) के चासनाला कोयला खदान में पानी का सैलाब घुस गया, जिसने 375 कामगारों को निगल लिया।
खदान में राहत इंतजामों की हालत यह थी कि शुरुआती तीन दिनों में खदान में बचाव कार्य शुरू तक नहीं किया गया। इस दौरान खदान प्रबंधन ने 375 लोगों की सूची जारी की जो खदान में फंसे हुए थे। इस दौरान केवल पानी निकालने वाले पंपों से कोशिश जरूर की गई लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ। कलकत्ता की कई कंपनियों से संपर्क साधा गया लेकिन खास काम नहीं आया। 23 दिनों बाद रूस और पोलैंड से आई मशीनों से खदान से पानी निकालने का काम रूस के विशेषज्ञों की देखरेख में शुरू हुआ। 26 दिनों बाद खदान से पहला शव निकाला गया। कई दिनों के प्रयास के बाद खदान से 356 शव ही निकाले जा सके।
घटना की जांच में पता चला कि खदान के ऊपर स्थित एक जलागार में पांच करोड़ गैलन पानी जमा था जो खदान के ऊपरी हिस्से को तोड़ता हुआ अंदर घुस गया था। अधिकारियों ने खदान के पास विस्फोट को मंजूरी दी थी जिससे जलागार क्षतिग्रस्त हुआ था और इसका पानी खदान में घुसने का कारण बना।
इस भयावह हादसे पर फिल्म निर्देशक यश चोपड़ा ने काला पत्थर नाम फिल्म बनाई जिसमें अमिताभ बच्चन, शत्रुघ्न सिन्हा और शशि कपूर ने अभिनय किया।