कोलकाता : कलकत्ता हाई कोर्ट ने मफूजा खातून समेत 11 भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं के खिलाफ किसी भी तरह की सख्त और दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी है। हाई कोर्ट के न्यायाधीश जय सेनगुप्ता और न्यायाधीश अपूर्वा सिन्हा रॉय के अवकाश पीठ ने सोमवार को यह आदेश दिया। राज्य कोई आश्वासन नहीं दे सका कि उन भाजपा कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा इसीलिए हाईकोर्ट के अवकाश पीठ ने यह आदेश दिया। कलकत्ता हाई कोर्ट ने 11 भाजपा कार्यकर्ताओं को कानूनी संरक्षण दिया है। कोर्ट ने जानकारी दी है कि मामले की अगली सुनवाई तक पुलिस भाजपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं कर सकती है।
उल्लेखनीय है कि यह मामला जिस घटना पर आधारित है, वह वास्तव में वर्ष 2019 की है। उस वर्ष, भाजपा ने उत्तर दिनाजपुर के गंगारामपुर में कानून तोड़ो कार्यक्रम का आह्वान किया था। कार्यक्रम का संचालन दिलीप घोष, सुकांत मजूमदार ने किया था। हालांकि इस मामले में बंगाल भाजपा के दो नेताओं को पहले ही अग्रिम जमानत मिल चुकी है। लेकिन, पुलिस ने भाजपा के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के कुछ नेताओं पर केस दर्ज कर लिया। उस सूची में भाजपा के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ की नेत्री मफूजा खातून समेत 11 लोगों के नाम हैं। उन्होंने अग्रिम जमानत के लिए कलकत्ता हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
मफूजा खातून की ओर से वकील सौरव चटर्जी ने हाईकोर्ट में पैरवी की। वहीं सरकार की तरफ से वकील स्वप्न बनर्जी कोर्ट में मौजूद रहे। सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस अपूर्वा सिन्हा रॉय ने राज्य के वकील से पूछा कि इतने लंबे समय के बाद उनकी गिरफ्तारी या हिरासत की वजह क्या है? लेकिन सरकारी वकील कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे सके। उसके बाद हाईकोर्ट ने मफूजा खातून और बाकी भाजपा कार्यकर्ताओं को सुरक्षा प्रदान की थी। इस मामले की अगली सुनवाई 29 दिसंबर को है। पुलिस को उस दिन केस डायरी कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया गया है।