देश-दुनिया के इतिहास में 15 जनवरी की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। इस तारीख का महत्व लोगों के सर्च रिजल्ट का अहम हिस्सा बन चुके विकिपीडिया से भी है। हम अगर गूगल पर कुछ भी सर्च करते हैं, तो अधिकतर विकिपीडिया का पेज ही सबसे ऊपर आता है। विकिपीडिया को 15 जनवरी, 2001 को जिमी वेल्स और लैरी सैंगर ने शुरू किया था। विकिपीडिया को इस सोच के साथ शुरू किया गया था कि कोई भी व्यक्ति इसे एडिट कर सकता है। टेक्नोलॉजी की दुनिया में ऐसे तरीके से इकट्ठा की गई जानकारी को क्राउड सोर्सिंग कहा जाता है।
विकिपीडिया को पहले केवल अंग्रेजी भाषा में ही लॉन्च किया गया था। अब यह 300 से ज्यादा भाषाओं में उपलब्ध है। 2003 में विकिपीडिया को हिंदी में लॉन्च किया गया था। विकिपीडिया में करीब 5.5 करोड़ से ज्यादा आर्टिकल मौजूद हैं और हर महीने 2 अरब से ज्यादा यूजर्स विकिपीडिया पेज पर आते हैं। विकिपीडिया शुरू करने से पहले जिमी वेल्स और लैरी सैंगर ने न्यूपीडिया नाम से इन्साइक्लोपीडिया लॉन्च किया था। इसमें एक्सपर्ट आर्टिकल लिखा करते थे और रिव्यू होने के बाद ही उसे पब्लिश किया जाता था। बाद में जब विकिपीडिया लॉन्च किया गया, तब उसमें हर यूजर को एडिटिंग की इजाजत नहीं थी, लेकिन कुछ महीनों बाद इसमें सभी यूजर को एडिटिंग की इजाजत मिल गई।
विकिपीडिया के क्रिएटर्स ने इसे कुछ इस तरह बनाया है कि कोई भी व्यक्ति इसमें कंटेंट को एडिट कर सकता है। यानी, अगर कोई व्यक्ति चाहे तो विकिपीडिया पेज पर मौजूद किसी भी जानकारी में बदलाव कर सकता है। इसे लेकर विकिपीडिया की आलोचना भी होती रही है और कई बार इसी वजह से इसे जानकारी का भरोसेमंद सोर्स भी नहीं माना जाता है।
हालांकि, विकिपीडिया टीम लगातार इस प्रक्रिया में सुधार कर रही है। वह न केवल अपने पेज पर हर ताजा जानकारी तुरंत अपडेट करती है, बल्कि अगर किसी ने जानबूझकर तथ्यों से छेड़छाड़ करते हुए पेज को एडिट किया है, तो विकिपीडिया टीम उस गलती को भी जल्दी ही सुधार देती है।
इसके अलावा 15 जनवरी, 1934 को भारत और नेपाल में विनाशकारी भूकंप आया था। इस भूकंप में 11 हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 8.3 मापी गई थी। बताया जाता है कि भूकंप के झटके इतने जोरदार थे कि इन्हें मुंबई तक महसूस किया गया। इस भूकंप से बिहार के मुंगेर और मुजफ्फरपुर शहर पूरी तरह बर्बाद हो गए थे। मोतिहारी और दरभंगा में भी भारी नुकसान हुआ था। नेपाल के काठमांडू, भटगांव और पाटन में कई इमारतें ढह गई थीं और सड़कों में दरारें पड़ गई थीं।