कोलकाता : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहले दिन से नए राज्यपाल को ”मैनेज” करने की कोशिश कर रही हैं। पूर्व राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने संविधान और कानून की रक्षा के लिए जिस प्रकार से राज्य सरकार पर दबाव बनाया था उसके कारण वह मुख्यमंत्री के विभिन्न अनैतिक कार्यों में बाधा बन गए थे। लिहाजा मुख्यमंत्री पहले दिन से ही पश्चिम बंगाल के नए राज्यपाल सीवी आनंद बोस को मैनेज करने का प्रयास कर रही हैं। बुधवार की देर शाम एक राजनीतिक कार्यक्रम में संबोधित करते हुए पश्चिम बंगाल के नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने यह विस्फोटक टिप्पणी की।
वर्तमान राज्यपाल सीवी आनंद बोस का जिक्र करते हुए शुभेंदु आधिकारी ने आगे कहा कि वह एक शिक्षाविद् हैं और पश्चिम बंगाल के बारे में उनकी स्पष्ट राय है। मैं उनकी सोच और कार्यशैली पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता। शुभेंदु अधिकारी ने आगे कहा कि मुख्यमंत्री कुछ दिन पहले राज्यपाल से मिली थीं। उस दिन हुई बैठक में राज्यपाल ने मुख्यमंत्री से कहा कि सुरक्षा आयोग की अधिसूचना, लोकायुक्त विधेयक और कई अन्य मुद्दों पर मंजूरी नहीं दी जा सकती है। राज्यपाल ने मुख्यमंत्री से यह भी कहा कि मैं नहीं इस बात की भी अनुमति नहीं दे सकता कि मुख्यमंत्री को राज्यपाल के स्थान पर विश्वविद्यालयों का कुलपति बनाया जाये, क्योंकि इस मामले में यूजीसी और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना का मामला जुड़ा हुआ है।
मुख्यमंत्री ने राज्यपाल के सामने सरेंडर किया और कहा कि मैं लोकायुक्त वापस ले रही हूं। पिछले गवर्नर से मेरा मतभेद था, इसलिए मैं उन्हें विश्वविद्यालयों के कुलपति के पद से हटाना चाहती थी, लेकिन मेरा आपसे कोई विवाद नहीं है, इसलिए कुलपति पद परिवर्तन विधेयक के विषय पर अब कोई बात नहीं होगी।
वहीं शुभेंदु अधिकारी ने आगे कहा कि मैं आने वाले समय में जब भी उनसे मिलूंगा तो केवल यही अनुरोध करूंगा कि वह तृणमूल की बातों से सावधान रहें। शुभेंदु अधिकारी ने सनसनीखेज दावा करते हुए कहा कि राज्यपाल से मिलने वाले कई कुलपति अपनी योग्यता के अनुसार कुलपति नहीं बने, शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को रिश्वत देकर कई लोग कुलपति बने हैं। सभी कुलपतियों की नियुक्ति अवैध रूप से की गई है। मौका मिला तो राज्यपाल को भी बता दूंगा।