कोलकाता : बीरभूम जिले के शान्तिनिकेतन में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा स्थापित विश्व प्रसिद्ध विश्व भारती विश्वविद्यालय की जमीन पर नोबेल विजेता अमर्त्य सेन के कथित कब्जे का विवाद बढ़ता जा रहा है। एक दिन पहले राज्य के कई अखबारों में विश्व भारती की विवादित जमीन का मालिक अमर्त्य सेन को बताए जाने को लेकर नाराजगी जाहिर करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति विद्युत चक्रवर्ती ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा है।
इसमें उन्होंने स्पष्ट किया है कि अमर्त्य सेन के पिता आशुतोष सेन के साथ वर्ष 1943 में विश्व भारती विश्वविद्यालय प्रबंधन का एक करार हुआ था। इसमें इस बात पर सहमति बनी थी कि जब तक वह जिंदा रहेंगे तब तक रेजिडेंशियल लीज के तौर पर उस जमीन का इस्तेमाल कर सकेंगे। उसके बाद वापस विश्वविद्यालय का उस पर कब्जा होगा लेकिन अमर्त्य सेन ने जमीन लौटाने से इनकार कर दिया है। यह उनका अवैध कब्जा है।
विद्युत चक्रवर्ती ने अपने पत्र में इस बात का भी जिक्र किया है कि कई मीडिया संस्थानों ने समाचारों में इस बात का जिक्र किया है कि विश्वविद्यालय की 1.38 एकड़ जमीन पर अमर्त्य सेन का मालिकाना हक है, जिसमें कोई सच्चाई नहीं है। हकीकत यही है कि 1.25 एकड़ जमीन उनके पिता को लीज पर दी गई थी जिसकी मियाद खत्म हो गई है लेकिन सेन ने उस पर अवैध कब्जा कर रखा है।
उल्लेखनीय है कि नोबेल विजेता अमर्त्य सेन अमूमन कभी केंद्र के खिलाफ अपने विवादित बयानों की वजह से तो कभी विश्वविद्यालय की जमीन पर अवैध कब्जे को लेकर सुर्खियों में रहते हैं। खास बात यह है कि इतने बड़े सम्मान से विभूषित होने के बावजूद गुरुदेव द्वारा स्थापित विश्वविद्यालय की जमीन विवाद को सुलझाने की दिशा में उनकी ओर से कोई सकारात्मक पहल नहीं की गई है।