कोलकाता : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी दो दिवसीय दौरे पर मंगलवार की शाम उत्तर बंगाल के सिलीगुड़ी पहुंचीं। यहां पहुंचते ही उन्होंने एक सरकारी परिसेवा प्रदान करने वाले कार्यक्रम में शिरकत की। इस दौरान हड़ताल का रास्ता अख्तियार करने वालों को चेतावनी देते हुए स्पष्ट कहा कि कोई हड़ताल स्वीकार नहीं की जाएगी। एक बार फिर पृथक गोरखालैंड की मांग पर सुलग रहे पहाड़वासियों को चेतावनी देते हुए ममता ने कहा कि पहाड़ों में बंद के नाम पर कानून हाथ में लिया गया तो किसी को बख्शा नहीं जाएगा।। उन्होंने दावा किया कि वे (भाजपा और सहयोगी दल) विकास के लिए नहीं, बंद के नाम पर पहाड़ियों में अशांति फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।
जीटीए के विपक्षी नेता बिनय तमांग, अजय एडवर्ड्स और अन्य ने बंद का आह्वान किया है। जीटीए विरोधी पार्टियों ने विधानसभा में पारित ”बंग भंग विरोधी प्रस्ताव” के विरोध में 23 फरवरी, बुधवार को पहाड़ियों में 12 घंटे के बंद का आह्वान किया है। इसमें बिनय तमांग, हमरो पार्टी के संस्थापक अजय एडवर्ड समेत जीटीए के सात सदस्य शामिल हैं। उन्होंने 24 घंटे का उपवास शुरू कर दिया है। दार्जिलिंग में भानु भवन के सामने उनका अनशन शुरू हो गया है।
माध्यमिक परीक्षा बुधवार से शुरू हो रही है। ऐसे में सिलीगुड़ी के मंच से ममता ने बंद के आयोजकों को कड़ा संदेश दिया। उन्होंने कहा कि पहाड़ों में कोई बंद नहीं होगा। हम बंद का समर्थन नहीं करेंगे। मैं प्रशासन की ओर से स्पष्ट आदेश दे रही हूं कि अगर कोई बंगाल विभाजन को लेकर आंदोलन करने जाएगा तो वह आंदोलन कर सकता है, लेकिन अगर कानून हाथ में लिया गया तो किसी को छूट नहीं होगी।
कर्सियांग के भाजपा विधायक विष्णुप्रसाद शर्मा ने सोमवार को विधानसभा के बजट सत्र में ”बंगाल विरोधी विभाजन प्रस्ताव” पर बहस में हिस्सा लिया और अलग गोरखालैंड राज्य पर जनमत संग्रह कराने की मांग की थी।